सुन्नियों ने अपने पेशवा के कुल में शिरकत कर पेश की खिराज़ अक़ीदत
सभी सियासी पार्टियों कर रही मुसलमानों का इस्तेमाल -मुफ्ती सलीम नूरी
कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार अदा हुई उर्स की सभी रस्में।
बरेली, उत्तर प्रदेश
उर्स-ए-रज़वी के तीसरे व आखिरी दिन आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां दुनियाभर में अमन-ओ-सुकून व कोरोना खात्मे की दुआ की गयी। देश भर के नामवर उलेमा की तक़रीर सुबह से ही शुरु हो गयी थी। उलेमा ने मुसलमानों के मसाइल पर चर्चा के साथ सुन्नियत व मसलक-ए-आला के मिशन पर खिताब किया। सभी प्रोग्राम कोविड 19 की गाइड लाइन के अनुसार दरगाह सरपरस्त हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत व उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मिया की निगरानी में अदा की गई। दरगाह स्थित रज़ा मस्जिद में बाद नमाज़ ए फ़ज़्र कुरानख्वानी हुई। इसके बाद उर्सगाह इस्लामिया मैदान में सुबह 8 बजे महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान से मौलाना ज़िक्रउल्लाह ने किया।
निज़ामत (संचालन) कारी यूसुफ रज़ा संभली ने किया। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि कारी रिज़वान रज़ा,महशर बरेलवी,मौलाना तौसीफ रज़ा, आसिम रज़ा, जावेद रज़ा ने नात-ओ-मनकबत का नज़राना पेश किया।
मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने खिताब करते हुए मुल्क भर से आये उलेमा से अपील की कि ये लोग हिंदुस्तान भर में जलसों, महफ़िल के ज़रिए ख़ानक़ाही निज़ाम,सूफ़ियों व बुजुर्गों के मोहब्बत को आम करे। आपसी सौहार्द को बढ़ावा और मुल्क में फैली नफरतों का खात्मा सिर्फ और सिर्फ खानकाही और सूफी निज़ाम के ज़रिए किया जा सकता है। इस्लाम की सही तस्वीर दूसरे मज़हब के लोगो तक पहुँचाये। उनके करीब जाना होगा। सियासी पार्टियों से साबधान रहते हुए एक दूसरे को करीब से समझे। लोगों को करीब लाकर शरीयत के दायरे में रहकर मुल्क में आपसी भाईचारे को मजबूत करें। नफरतों के मौहॉल को मोहब्बतें में तब्दील करे। मुल्क की आज़ादी के लिए सैकड़ों उलेमा व हजारों मुसलमानों ने अपना लहू बहाकर कुर्बानी दी। हिन्दू-मुसलमानों ने मिलकर मुल्क को आज़ाद कराने में अहम रोल अदा किया। लेकिन आज मुल्क में मोहब्बतों को खत्म कर दो तरह की राजनीतिक पार्टियों है। एक पार्टी खुलेआम मुसलमानों को निशाना बना रही है। इनके नेता कभी मज़हब ए इस्लाम,कभी नबी ए करीम की अज़मत तो कभी मदरसों को टारगेट किया जा रहा है। नफरतों की खाईयों को और चौड़ा किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ वो राजनीतिक पार्टियां है जो मुसलमानों की हितैषी है इनको सिर्फ मुसलमानो के वोट से मतलब है उनके मसले मसायल पर कोई गौर ओ फिक्र नही। हर तरह से मुसलमानों का नुकसान हो रहा है। किसी भी सियासी पार्टियों पर भरोसा किये बिना अपने आप को खड़ा करने की कोशिश करे।
मुफ्ती आकिल रज़वी ने कहा कि सभी सुन्नी खानकाहे हमारी है चाहे वो किसी भी सिलसिले से ताल्लुक रखता हो बशर्ते वो मसलक-ए-आला हज़रत का मुबल्लिग (प्रचारक) हो। आला हज़रत को आला हज़रत मानने में ही भलाई है। वही मुफ्ती आकिल रज़वी द्वारा बुखारी शरीफ की शरा 2 जिल्दों में लिखी है। उसका विमोचन दरगाह सरपरस्त हज़रत सुब्हानी मियां ने किया। इसके अलावा मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी की भी लिखी किताबो का भी विमोचन किया। मुफ्ती अर्सलान रज़ा खान ने भी आला हज़रत इल्मी कारनामों पर रोशनी डाली। मौलाना ज़ाहिद रज़ा ने कहा कि इस वक़्त पानी को बचाने की सख्त जरूरत है। इस्लाम फुजूलखर्ची की इजाज़त नही देता। वुजू में भी पानी बर्बादी का हुक्म इस्लाम नही देता। मौलाना बशीरुल क़ादरी ने कहा कि आज का नोजवान सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करते हुए पश्चिमी सभ्यता से दूर रहने का आव्हान किया। वही कारी सखावत मुरादाबादी ने सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मिया का पैगाम देते हुए कहा कि शादियों में डीजे,बाजा समेत गैर शरई रस्मों से परहेज़ करे। ऐसी शादियों का बहिष्कार करें जिसमें गैर शरई काम किये जाते हो। साथ ही लड़की मौलाना अख्तर ने कहा कि नबी करीम ने अख़लाक़ बेहतर करने का हुक्म दिया। वही नमाजो की पाबंदी करते हुए उनको अपने वक़्तों पर अदा करने का हुक्म दिया। मौलाना तौसीफ संभली ने लव जेहाद पर चर्चा करते हुए कहा कि हिंदुस्तान में कानून सबके लिए बराबर है। अजीब बात है अगर उनके तरफ से ये काम हो तो घर वापसी और हमारी तरफ से हो तो लव जिहाद। मुसलमानों अपने बच्चों का पूरा ख्याल रखे उनकी सही उम्र में शादी कर दे ताकि वो लोग गलत कदम उठाने से बचे। सऊदी हुक़ूमत द्वारा मदीने शरीफ में खोले गए सिनेमा व शराब घर की कड़ी मज़्ज़मत की। मौलाना मुख्यतार बहेड़वी ने रात में हुई "बेटियों की हिफाज़त" तक़रीर में कहा कि बेटियां किसी भी मज़हब की हो वो सब हमारी बेटियाँ है। इन सबकी हिफाज़त का ज़िम्मा हमारा है। यही इस्लाम का भी पैगाम है। मुफ्ती सुल्तान ने कहा कि आला हज़रत को अल्लाह ने फ़क़ीह-ए-आज़म और मुजद्दीद ए आज़म बनाया। फतावा रजविया और लगभग 1300 किताबें ज़िंदा करामत है। मुफ्ती सगीर अहमद जोखनपुरी,मुफ्ती खुर्शीद आलम,कारी इरफान उल हक,मौलाना आफाक आदि ने भी खिताब किया। ठीक 2.38 मिनट पर कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। फातिहा कारी रिज़वान व मौलाना बशीरुल क़ादरी व शज़रा ने कारी रज़ा अली व मौलाना मुख्यतार बहेडवी ने पढ़ा आखिर में ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां व हज़रत मौलाना तौसीफ रज़ा खान ने देश दुनिया मे अमन ओ सुकून और कोरोना खात्मे की दुआ की। इसी की साथ तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। खानदान के सूफी रिज़वान रज़ा खान,सैफ रज़ा खान,शीरान रज़ा खान, मौलाना मोअज़्ज़म रज़ा खान,आमिर रज़ा के अलावा मुफ्ती सय्यद कफील हाशमी,मौलाना ताहिर रज़ा, मुफ़्ती अय्यूब,मुफ्ती अनवर अली, कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी,मुफ्ती अफ़रोज़ आलम,मौलाना फरियाद लखीमपुरी आदि उलेमा स्टेज पर रहे। कुल शरीफ के बाद बड़ी संख्या में लोग मुरीद हुए। इसके अलावा पूर्व मंत्री आबिद खान में शामिल रहे। उर्स की व्यवस्था में हाजी जावेद खान,परवेज़ खान नूरी,औरंगजेब नूरी,शाहिद नूरी,अजमल नूरी,ताहिर अल्वी,सय्यद फैज़ान अली,ज़हीर अहमद,मंज़ूर खान, शान रज़ा, आसिफ नूरी तारिक सईद,आलेनबी, इशरत नूरी,सय्यद फ़रहत, हाजी अब्बास नूरी,अब्दुल वाजिद खान,गौहर खान,अदनान खान,काशिफ खान,सुहैल रज़ा चिश्ती, सय्यद एजाज़,आसिफ रज़ा, सय्यद माजिद, ज़ोहिब रज़ा, यूनुस गद्दी,अनीस खान,सबलू अल्वी, फ़ैज़ी खान,काशिफ सुब्हानी,समीर रज़ा,साकिब रज़ा,अमन रज़ा, शाद रज़ा,इरशाद रज़ा, रईस रज़ा, अश्मीर रज़ा,अरबाज़ रज़ा, कामरान खान,ज़ीशान कुरैशी, मुजाहिद बेग,खलील क़ादरी,सुहैल रज़ा,जुनैद मिर्ज़ा,आसिफ नूरी,हाजी शारिक नूरी,यूनुस साबरी,आरिफ नूरी,शारिक बरकाती,सय्यद मुदस्सिर अली,अनीस खान,माजिद खान,समी रज़ा,तहसीन रज़ा आदि ने सम्भाली।
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