आला हज़रत एक सच्चे आशिक-ए-रसूल थे - अल्लामा हबीबुर्रहमान
43वां जलसा-ए-आला हज़रत।
कंजुल ईमान' 'फतावा रज़विया' व 'हदाएके बख्शिश' पूरी दुनिया में मशहूर।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
अज़ीम मुजद्दिद आला हज़रत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां की याद में तुर्कमानपुर में 43वां सालाना जलसा-ए-आला हज़रत हुआ। जलसा संयोजक शाबान अहमद व अलाउद्दीन निज़ामी ने मस्जिदों के इमामों का इस्तकबाल किया।
मुख्य अतिथि पीरे तरीक़त अल्लामा मो. हबीबुर्रहमान रज़वी ने कहा कि आला हज़रत एक सच्चे आशिक-ए-रसूल थे। कभी भी आपने रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, सहाबा-ए-किराम, अहले बैत व औलिया-ए-किराम की शान में मामूली सी तौहीन को भी पसन्द नहीं किया। आला हज़रत ने सदा इत्तेहाद, इत्तेफाक, मेल मोहब्बत का संदेश दिया। आला हज़रत मिल्लत में नाइत्तेफाकी पसन्द नहीं करते थे। आला हज़रत न सिर्फ एक धर्मगुरू थे बल्कि एक महान समाज सुधारक भी थे।
आला हज़रत अहले सुन्नत वल जमात के सच्चे रहनुमा थे। आपकी तालीम ने 14सौ साल से चले आ रहे दीन-ए-इस्लाम को ताकत दी। आपकी सारी किताबें, क़ुरआन का तर्जुमा 'कंजुल ईमान' 'फतावा रज़विया' व आपका नातिया कलाम 'हदाएके बख्शिश' पूरी दुनिया में मशहूर है। मिस्र की विश्वविख्यात अल अज़हर यूनिवर्सिटी द्वारा आला हज़रत की किताबों का अनुवाद कराकर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी सफीउल्लाह निज़ामी ने की। नात कारी अंसारुल हक ने पेश की। संचालन मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने किया। अंत में फातिहा ख्वानी हुई। सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती व भाईचारे की दुआ मांग शीरीनी बांटी गई।
जलसे में मौलाना मो. असलम रज़वी, मुफ्ती अख्तर हुसैन, मौलाना मकबूल, शाबान अहमद, हाजी खुर्शीद आलम, मो. शरीफ, मिस्बाहुल हसन, अलाउद्दीन निज़ामी, आसिफ सर्राफ, नूर अशरफ़ निज़ामी, हसीन अहमद,डॉ. जफ़रुल हसन, फिरोज अहमद निज़ामी, बाबुल, अबरार अहमद, मनोव्वर अहमद, अफरोज क़ादरी आदि मौजूद रहे।
मदरसा हुसैनिया में हुई सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया इमामबाड़ा दीवान बाजार में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता हुई। जिसमें कक्षा 6, 7 व 8 के विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को जल्द ही पुरस्कृत जल्द किया जाएगा।प्रतियोगिता के संयोजक आधुनिक विषय अध्यापक मोहम्मद आज़म खान रहे। प्रतियोगिता में नवेद आलम, अमरीन फातमा, कारी मोहम्मद अनीस, मोहम्मद तलहा, गौसिया सुंबुल ने सहयोग किया।
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