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भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश थे हिदायत उल्लाह - मुफ्ती सलीम

 उच्च शिक्षा, कठिन परिश्रम से ही अपने को  समाज में स्थापित कर सकते है - मुफ्ती सलीम 


बरेली, उत्तर प्रदेश।


दरगाहे आलाहज़रत बरेली के मंजरे इस्लाम की ई-पाठशाला मे आज मुस्लिम समाज के शैक्षिक पिछड़ेपन को दूर करने के विषय पर एक वेबीनार का आयोजन हुआ जिसको संबोधित करते हुए वरिष्ठ शिक्षक मुफ्ती मुहम्मद सलीम नुरी ने बताया कि आज वही समाज कामयाब है जिसने अपने आप को उच्च शिक्षा से लैस कर लिया है। शिक्षा एक महत्वपूर्ण हथयार है जिस से आप हर मुहिम कामयाबी के साथ जीत सकते हैं।आज 18 सितंबर है इसलिए आज हम आपको उदाहरण देंगे ऐसे बच्चे का कि जिसने अपनी शिक्षा और काबलियत के बल पर भारत से इंग्लैंड तक अपने समाज, धर्म, देश और परिवार का नाम रौशन किया।इस बच्चे का नाम हिदायतुल्लाह है जो एक कुरआन हाफिज के घर पैदा हुए।और अपनी काबलियत से भारत के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। 

उन्होंने दो अवसरों पर भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्यभार संभाला था। इसके साथ ही वो एक पूरे कार्यकाल के लिए भारत के छठे उपराष्ट्रपति भी रहे। नया रायपुर में स्थित हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है ।1


7 दिसंबर, 1905 को जन्में भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति मोहम्मद हिदायतुल्लाह का जन्म ब्रिटिश आधीन लखनऊ के प्रसिद्ध खान बहादुर हाफिज मोहम्मद विलायतुल्लाह के परिवार में हुआ था. इनके पिता उर्दू भाषा के एक प्रख्यात कवि थे. इनके दादा श्री मुंशी कुदरतुल्लाह बनारस में वकील थे जबकि इनके पिता ख़ान बहादुर हाफ़िज विलायतुल्लाह आई.एस.ओ. मजिस्ट्रेट मुख्यालय में तैनात थे। मुहम्मद हिदायतुल्लाह की माता का नाम मुहम्मदी बेगम था जिनका ताल्लुक मध्य प्रदेश के एक सुन्नी धार्मिक परिवार से था, जो हंदिया में निवास करता था।

        उन्होंने 1922 में रायपुर के गवर्नमेंट हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नागपुर के मोरिस कॉलेज में दाखिला लिया जहां 1926 में उन्हें फिलिप छात्रवृत्ति के लिए नामित किया गया. वर्ष 1927 में कानून की पढ़ाई संपन्न करने के लिए हिदायतुल्लाह कैंम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज गए. अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।ट्रिनिटी से पढ़ाई पूरी कर भारत लौटने के बाद मोहम्मद हिदायतुल्लाह मध्य प्रांत के उच्च न्यायालय और बरार, नागपुर के एडवोकेट जनरल नियुक्त हुए. बरार और मध्य प्रांत का विलय होने के बाद जब मध्य प्रदेश का निर्माण किया गया तब मोहम्मद हिदायतुल्लाह उच्च न्यायालय के एडवोकेट जनरल बनाए गए. उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बन जाने तक वह इस पद पर रहे. 1946 में मोहम्मद हिदायतुल्लाह नागपुर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त हुए. बाद में वह नागपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए नवम्बर 1956 में वह मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी बने. 1958 में मोहम्मद हिदायतुल्लाह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए. दस वर्ष तक इस पद पर 

18 सितम्बर 1992 को इन का इंतिक़ाल हो गया।

  18 सितंबर 1992 को मोहम्मद हिदायतुल्लाह का निधन हो गया। उन्हें एक प्रख्यात विधिवेत्ता, विद्वान, शिक्षाविद्, लेखक और भाषाविद् के रूप में माना जाता है। अपने समय में वह भारत के उच्चतम न्यायालय के सबसे कम उम्र के न्यायाधीश थे। वह भारत के पहले मुस्लिम मुख्य न्यायाधीश भी थे। जस्टिस हिदायतुल्लाह एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के राष्ट्रपति, भारत के उपराष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश सभी तीन शीर्ष  पदों पर रहे।

हमारे नौजवानों को उच्च शिक्षा प्राप्त कर के अपने को समाज में स्थापित करना चाहिए।



 

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