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व्यापार मण्डल की एक आपात वर्चुवल बैठक कर नगर-निगम के द्वारा प्रस्तावित दरों पर चर्चा

 



लखनऊ समाचार पत्रों के माध्यम से मालूम हुआ कि लखनऊ नगर निगम के द्वारा व्यापारियों के ऊपर 21 टेडों पर नया प्रतिष्ठान लाइसेन्स शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया है।

लखनऊ व्यापार मण्डल की एक आपात वर्चुवल बैठक कर नगर-निगम के द्वारा प्रस्तावित दरों पर चर्चा की गयी।


बैठक में मुख्य रूप से अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र, वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा, कोषाध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता, महामंत्री विनोद अग्रवाल, अनुराग मिश्र, अभिषेक खरे, उमेश शर्मा, सुहैल हैदर अल्वी, जितेन्द्र सिंह चैहान सुशील तिवारी, मनीश वर्मा, शशि शुक्ला सतीश अडवाड़ी, युवा अध्यक्ष मनीश गुप्ता युवा वरिष्ठ महामंत्री अरविन्द पाठक सुमित गुप्ता, युवा महामंत्री प्रियांग गुप्ता,सतीश अग्रवाल भारत भूषण गुप्ता, नीरज जौहर, रामकुमार वार्म आदि उपस्थिति रहे।


अध्यक्ष अमरनाथ मिश्र ने बताया कि सरकारी बिल्डिंगों पर करोड़ो रूपया बकाया है उसे नगर-निगम वसूल नहीं पा रहा है और व्यापारी के ऊपर टैक्स पर टैक्स लगाती चली जा रही है। 


व्यापारियों को कोई बुनियादी सुविधा नहीं मिल रहीं है बाजारों में पेय जल, शौचालय, पार्किग, आकस्मिक चिकित्सा, आदि की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है और अतिक्रमण की भरमार है वेन्डिग जोन आज तक बना नहीं पाये कामर्शियल टैक्स के रूप में व्यापारी अधिकतम टैक्स दे रहा है।


 वर्षो से व्यापारी की मांग रही है कि ई-कामर्स पर नीति बनाकर या स्थानीय टैक्स लगाकर राष्ट्र एवं प्रदेश के व्यापारियों को संरक्षित किया जाय एवं प्रतिस्पर्धा में भाग लेने का अवसर दिया जाय। 


यहाॅ पर यह विचार योग्य चीज है कि कोरोना से लेकर हर आपदा में व्यापारी टैक्स जमा करता रहा है और दूसरी तरफ ई-कामर्स चलाने वाली तमाम कम्पनियों ने न तो सरकार को कोई अनुदान दिया न ही कोई सहयोग किया ऐसे में आमदनी बढ़ाने के लिए सारे ई-कामर्स पर नगर-निगम 10प्रतिशत टैक्स लगाकर अपनी आय बढ़ा सकता है, यदि कोई टैक्स व्यापारियों पर लगाया जाता है तो इसका असर सीधा आम जनता के ऊपर होगा जिसके जिम्मेदार नगर-निगम एवं सरकार होगी, लेकिन प्रस्तावित दरें यदि व्यापारियों पर थोपने का प्रयास किया जायेगा तो सड़क पर उतरकर सीधे संघर्स होगा।


वरिष्ठ महामंत्री पवन मनोचा ने बताया कि ज्वैलरी, फर्नीचर, व्यूटीपार्लर, कपड़ा जूता चाय पेन्ट आदि 21 टेडों पर 4 हजार से लेकर 10 हजार तक प्रतिष्ठान शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया गया है और होटल, रेस्टोरेन्ट, जलपान गृह, आदि पर पूर्व से निर्धारित प्रतिष्ठान शुल्क में 5 गुना बढ़ोत्तरी करने का प्रस्ताव दिया गया है।


इतने टैक्स लदे है कामर्शियल हाउस टैक्स, वाटर टैक्स, सीवर टैक्स, नाम परिवर्तन टैक्स, यूजर चार्ज टैक्स, जिससे व्यापार पहले से ही चैपट है अब यह टैक्स व्यावहारिक नहीं है नगर-निगम यह टैक्स लगाकर इस्पेक्टर राज को बढ़ाकर व्यापारी को समाप्त करना चाहती है। हम लखनऊ के व्यापारियों नया टैक्स स्वीकार नहीं होगा। 


कोषाध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता ने कहा कि शहर स्मार्ट किया गया परन्तु बुनियादे सुविधाएं कोई नहीं है आज शहर तो स्मार्ट नही हो पाया है परन्तु स्मार्ट टैक्स लगाने का प्रयास होने लगा केवल टैक्स वसूलना ही विभाग जानता है। ऐसे में जब तक बुनियादी सुविधाएं हर बाजार को मुहैया नहीं करायी जाती है तब तक किसी भी प्रकार का अतरिक्त टैक्स व्यापारी नहीं देगा। प्रस्तावित टैक्स स्वीकार नहीं होगा चाहे जो भी संघर्स करना पड़े।

   

बैठक में उपस्थिति व्यापारियों ने प्रस्तावित लाइसेन्स शुल्क का विरोध किया और कहा कि जल्द ही एक प्रतिनिधि मण्डल नगर विकास मंत्री, नगर महापौर और सम्बन्धित अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन सौपेगा और विरोध दर्ज करायेगा। यदि प्रस्ताव वापस नहीं हुआ तो सम्पूर्ण लखनऊ बन्द कर लखनऊ व्यापार मण्डल सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करेगा।

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