कश्मीरी केसर की क्यारियों में साहित्य की सुगंध फैला रहे है संत कबीर नगर के सपूत श्रवण - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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कश्मीरी केसर की क्यारियों में साहित्य की सुगंध फैला रहे है संत कबीर नगर के सपूत श्रवण

 


संतकबीरनगर, उत्तर प्रदेश कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है जो अपने सौन्दर्य के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है | लेकिन कश्मीर की धरती पर पडोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा पोषित किया जा रहा आतंकबाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है | क्योकि कश्मीर की जिस धरती पर केसर उगता है उसी धरती पर 2019 में हुए एक भीषण आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी | हलांकि उसके बाद पाकिस्तान के बालाकोट और चकोटी में आतंकवादियों के अड्डे पर किए गये एयर स्ट्राइक के माध्यम से पूरी दुनिया ने भारत के जांबाज जवानों का शौर्य भी देखा था | क्योकि यह देश ऐसे ही जांबाजों की पुण्यभूमि है जो दुश्मन के दांत खट्टे करने में पीछे नही रहते और जरूरत पड़ने पर अपनी सरहदों तथा अपनी सरजमीं की हिफाजत के लिए अपना सब कुछ निछावर कर सकते हैं | भारत के एक ऐसे ही सपूत हैं-श्रवण यादव । श्रवण मूलतः संत कबीर नगर के ग्राम कटका के  निवासी हैं तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल अर्थात सीआरपीएफ में इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत है और आतंकवाद से ग्रस्त जम्मू-कश्मीर राज्य के उसी पुलवामा में रहकर देश की विघटनकारी शक्तियों से लड़ते हुए  देश की सेवा कर रहे हैं | इंस्पेक्टर श्रवण यादव  देश की आंतरिक-सुरक्षा के एक विशेषज्ञ अधिकारी हैं तथा  भारत सरकार की तरफ से न सिर्फ देश में अपितु विदेशों में भी इन्होने अपनी विशिष्ट सुरक्षा सेवाएं प्रदान की हैं | उन्हें उनकी सेवा के लिए अनेकों सुरक्षा पदकों और अलंकरणों  से विभूषित किया जा चुका है |  किन्तु एक तरफ इंस्पेक्टर श्रवण यादव एक सैनिक के रूप में अपने कठिन दायित्व का कुशलतापूर्वक  निर्वहन कर रहे हैं तो दूसरी ओर वह  कविताओं और गीतों  की रचना करते हुए हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपना अप्रतिम योगदान भी दे रहे हैं |


इंस्पेक्टर श्रवण यादव आतंकवाद से ग्रस्त कश्मीर की धरती पर तैनात रहते हुए अनेकों लेख, कविताये और गीत लिख चुके है । उनकी  रचनाये अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुकी हैं | उनके द्वारा लिखी कविताओं का संग्रह  ‘साथ तुम्हारा” नामक पुस्तक के माध्यम से हंस प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हो चुका है जिसका विमोचन समारोह दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के सभागार में हिंदी साहित्य के अनेकों विद्वानों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ था तथा यह पुस्तक हंस प्रकाशन द्वारा इस वर्ष के विश्व पुस्तक मेले में भी प्रदर्शित की जा चुकी है |  श्रवण यादव द्वारा लिखित कविता-संग्रह  की दूसरी पुस्तक भी शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है | जिसमे उन्होंने एक सैनिक के प्रेम को अपनी कविताओं और अनेकों गीतों के माध्यम से व्यक्त किया है | श्रवण यादव द्वारा  ‘डार्क वेव’ से सम्बन्धित अपराधों के  बारे में भी एक पुस्तक लिखी जानी प्रस्तावित है जो भारत सरकार के गृह-मंत्रालय में प्रक्रियाधीन है |

 

इस प्रकार अपने चुनौतीपूर्ण दायित्वों के साथ ही साथ श्रवण यादव साहित्य से भी गम्भीर रूप से जुड़े हुए है |  हालाँकि वह ऐसे सैनिक हैं जो आतंकी गतिविधियों के केंद्र पुलवामा में सेवारत हैं  लेकिन वह न सिर्फ देश के सिपाही है बल्कि कलम के सिपाही के रूप में भी अपनी सेवाए दे रहे हैं | उनके हाथों में बन्दूक है लेकिन वह  कलम से जुड़े है तथा कश्मीर की बारूदी फिजाओं में केसर की क्यारियों में विचरण करते हुए  प्रेम के सुन्दर गीत लिख रहे हैं | शायद वह ऐसा इसलिए कर पाते हैं क्योकि उनके सैनिक परिधान और बुलेट-प्रूफ जैकेट के नीचे  एक कवि का संवेदनशील ह्रदय धडकता है | इसीलिए उनकी कविताये आम-कविताओं से सर्वथा अलग है और यही कारण है कि उनकी कविताओं का महत्व स्वतः ही बढ़ जाता है क्योकि यह  कविताये वातानुकूलित कमरे में बैठे किसी कवि की कल्पना की उडान मात्र  नही है बल्कि उनके स्वयं के जीवन में उतरी अनुभूतियां है | कश्मीरी केसर की क्यारियों में शब्दों की सुगंध फैला रहे  सीआरपीएफ के इंस्पेक्टर और सन्त कबीर नगर के सपूत श्रवण यादव का यह कार्य वास्तव में अद्भुत और अप्रतिम है

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