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धार्मिक महत्व से बुद्ध और कबीर की धरा

 


संत कबीर नगर धार्मिक महत्व से बुद्ध और कबीर की धरा है,पीतल,हथकरघा उद्योग इसकी पहचान है, औद्योगिक क्षेत्र होते हुवे भी आधिकांश फैक्ट्रियां रुग्ण हैं, विकास की दृष्टिकोण से एक विकासशील जनपद है,जनपद के  उत्तर मेहदवाल विधान सभा में राप्ती, मध्य खलीलाबाद विधान सभा में आमी, कष्टहरनी (कठिनईया) दक्षिण में कुवानो और सरयू नदी के तट पर बसा है 

वर्षात के मौसम में जनपद के दक्षिणांचल में सरयू नदी के तटवर्ती गांवो में नदी के कटान से बहुत से गांव जल मग्न हो जाते हैं और भरी जन धन हानि होती है वहीं बहुत ही मध्य में बहुत ही धार्मिक महत्व की कष्टहरनी नदी जिसका उद्गम बस्ती के मझौवा से होते जनपद संत कबीर नगर के खलीलाबाद विधान सभा के कांटे, एकमा, देवारियागंगा, विश्वनाथपुर न्यायपंचायत के विभिन्न गांवों से होते हुवे धनघटा विधानसभा के कुवानों नदी में विलय कर जाती है परंतु कष्टहरनी नदी के ज्यादातर रास्ते में नदी नाले का रुप लेकर सकरी हो गई है जिससे वर्षात् के समय सम्पर्क के सभी क्षेत्रों में बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न कर देती है और किसानों का धान का सम्पूर्ण फसल नष्ट हो जाता है, ऊक्त मार्ग के विषया_कर्री, चमर्शन _देउरी के मध्य पुल नही होने की वजह से आमजन को काफी समस्या होती है, आप से सादर अनुरोध है कि नदियों द्वारा उत्पन्न हो रही जनपद की उक्त समस्याओं का समाधान कराने 

                                  

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