इंसानी ज़िन्दगी में शिक्षा का बहुत महत्व है - मुफ़्ती-ए-शहर - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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इंसानी ज़िन्दगी में शिक्षा का बहुत महत्व है - मुफ़्ती-ए-शहर


 गोरखपुर, उत्तर प्रदेश गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के सामने गौसे आज़म कांफ्रेंस का आयोजन हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी शमसुद्दीन ने की। नात व मनकबत पेश की गई।

मुख्य वक्ता मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि इंसानी ज़िन्दगी में शिक्षा का बहुत महत्व है। शिक्षा के बगैर इंसान की तरक्की संभव नहीं। समाज के अंदर शिक्षा के प्रति जागरुकता लाई जाए। शिक्षा न होने की वजह से समाज में बुराई पैदा होती है। शिक्षा से गफलत कौमों को बर्बाद कर देती है। लिहाजा दीनी व दुनियावी शिक्षा हासिल कर राष्ट्र व बेहतर समाज निमार्ण में योगदान दें।

विशिष्ट वक्ता नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में शिक्षा को उच्च स्थान हासिल है। दीन-ए-इस्लाम ने शिक्षा हासिल करने की बड़ी ताकीद की है, इसलिए हमें अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा दिलानी चाहिए। शिक्षा हासिल किए बिना मुकम्मल इंसान नहीं बना जा सकता।

विशिष्ट वक्ता मरकजी मदीना जामा मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि  दीन-ए-इस्लाम इल्म का मजहब है लिहाजा बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाएं। दीन-ए-इस्लाम शिक्षा का अलमबरदार है वो चाहता कि समाज में शिक्षा आम हो और जहालत खत्म हो।

अध्यक्षता करते हुए मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मस्जिदे नबवी की तामीर की तो उसके साथ शिक्षा  के लिए चबूतरा तामीर फरमाया। जिस पर बैठकर सहाबा-ए-किराम इल्मे दीन सीखते थे और ज़िन्दगी गुजारने के लिए आपसे तहजीब और तमद्दुन की बात मालूम करते थे, हालांकि मस्जिदे नबवी की तामीर का दौर आप और आपके सहाबा-ए-किराम पर आर्थिक तंगी का जमाना था, पेट पर पत्थर बांधे हुए होते थे फिर भी उस वक्त मस्जिद और चबूतरा बनाते अल्लाह के पैगंबर ने मुसलमानों को यह शिक्षा दे दी है कि मुसलमान भूखा प्यासा रह सकता है मगर जैसे नमाज़ से दूर नहीं हो सकता उसी तरह शिक्षा हासिल करने से भी दूर नहीं रह सकता, जैसे नमाज़ फर्ज है उसी तरह दीनी शिक्षा हासिल करना भी फ़र्ज है।

अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। कांफ्रेंस में मौलाना मो. असलम रज़वी, मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा, कारी अंसारुल हक, मो. अफरोज कादरी, कारी मो. मोहसिन रज़ा, मौलाना दिलशाद, कारी अय्यूब, मौलाना शमसुज्जमा, मौलाना हिदायतुल्लाह, मो. अरशद, नूर मो. दानिश, अब्दुल कादिर, मो. नाज़िम, गुलाम दस्तगीर, कारी जाकिर हुसैन, मो. इम्तियाज, मो. महबूब, हाफिज शमीम आदि मौजूद रहे।


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