शंकराचार्य बनने के बाद प्रथम बार वाराणसी पहुंचने पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती का होगा भव्य सम्मान
रायपुर। पूज्यपाद स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम के जगद्गुर शंकराचार्य बनने पर पूरे देश में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई है। देश-विदेश में उनकी छवि सनातन वैदिक शास्त्रों के महान ज्ञाता होने के अलावा धर्म, देश व सर्व समाज के हितों के लिए झूझने वाले एक साहसी योद्धा सन्यासी की रही है। देश में प्रतिदिन अनेक स्थानों पर उनके सम्मान में आयोजन हो रहे हैं। शंकराचार्य बनने के पश्चात वे ९ नवम्बर को प्रथम बार अपने कार्य स्थल रहे श्रीविद्यामठ वाराणसी आ रहे हैं। वाराणसी में उनके अनेक कार्यक्रमों के अलावा १२ नवम्बर को उनका भव्य नागरिक अभिनन्दन समारोह का आयोजन किया गया है। वे १४ नवम्बर को प्रात: आठ बजे वहां से हरिद्वार जाएंगे। पिछले दस वर्षों से देश के पूज्यपाद शंकराचार्यों व अन्य महान सन्तों के सहयोग से भारत को पुन: विश्वगुरू बनाने का अभियान चला रहे स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश साईं जलकुमार मसन्द साहिब उनके अत्यंत प्रिय व निकटस्थ साथियों में एक हैं। उन्हें स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के नवम्बर माह के समस्त कार्यक्रमों का विवरण भेज दिया गया है। साईं मसन्द साहिब १० नवम्बर को रायपुर से वाराणसी जाएंगे। वहां १२ नवम्बर को स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज के अभिनन्दन समारोह एवं १३ नवम्बर को आयोजित परम धर्म संसद की बैठक में शामिल होंगे। वहां से १४ नवम्बर को दोपहर सारनाथ एक्सप्रेस से रवाना होकर १५ नवम्बर को प्रात: रायपुर पहुंचेंगे।
_
Post a Comment