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जब गांव वालो ने भूखे रहकर मुलायम सिंह के लिए जुटाया चंदा

 बेचन प्रसाद यादव


लखनऊ 1960 के दशक में राममनोहर लोहिया जी की रैली इटावा और आसपास के जिलों मे होती तो मुलायम सिंह उसमें जरूर शामिल होते. समय के साथ मुलायम सिंह समाजवादी धारा में रमने लगे.

छात्र जीवन से ही मुलायम सिंह गरीबों, किसानो की बात करने लगे. समाजवादी आंदोलनों में भाग बढ़-चढ़कर शामिल होते. समय के साथ मुलायम सिंह  पढ़ाई और राजनीति एक साथ करने लगे

अब 1967 का चुनाव आ गया. उस समय तक जसवंत नगर के विधायक नत्थू सिंह जी, मुलायम सिंह के व्यक्तित्व और राजनीतिक कौशल के कायल हो चुके थे. उन्होने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलायम सिंह को टिकट देने की अपील की. टिकट मुलायम सिंह को मिल भी गया. नत्थू सिंह जसवंतनगर के बगल की सीट करहल से चुनाव लड़ने चले गए.



मुलायम सिंह अब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से उम्मीदवार थे. प्रचार करने के लिए उनके पास संसाधन के नाम पर केवल साइकिल थी. मुलायम सिंह के दोस्त दर्शन सिंह साइकिल चलाते और मुलायम सिंह पीछे बैठकर गांव गांव प्रचार करने लगे.



प्रचार के लिए गाड़ी खरीदने भर का पैसा नही था. ऐसे में दर्शन सिंह और नेताजी ने "एक वोट ...एक नोट" का नारा दिया. वे लोगो से चंदे के रूप में एक रूपया मांगते और उसे ब्याज सहित लौटाने का वादा करते. धीरे -धीरे कुछ पैसा इकठ्ठा हुआ. उससे एक पुरानी अंबेसडर कार खरीदी गई. गाड़ी आ गई. अब मुश्किल थी कि उसके लिए तेल की व्यवस्था के लिए पैसे की व्यवस्था कैसे हो.

मुलायम सिंह के घर सभी गांव वालो की बैठक हुई. बात उठी की तेल भराने के लिए पैसे की व्यवस्था कैसे हो ताकि प्रचार तेज गति से हो सके. गांव के बुजुर्ग सोनेलाल जी उठे और कहां कि गांव से पहली बार कोई विधायकी का चुनाव लड़ रहा है. हमें पैसे की कमी नही होने देनी चाहिए.वह दौर अभावों का था. लोगो के पास संसाधन के नाम पर खेती और पशु ही होते थे. जिससे सबकी आजीविका चलती थी. गांव वालो  ने यह फैसला किया कि हम सब  लोग मुलायम सिंह को चुनाव लड़ाने के लिए हफ्ते में एक दिन खाना नही खाएंगे. उससे जो अनाज बचेगा उसे बेचकर अम्बेसडर में तेल भराया जाएगा. इस प्रकार से तेल का इंतजाम गांव वालो ने उपवास रखकर कर दिया.वह चुनाव मुलायम सिंह ने दिग्गज कांग्रेसी नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के शिष्य लाखन सिंह को हराकर मात्र 28 साल की उम्र में जीतकर प्रदेश के राजनीतिक दिग्गजों को चौंका दिया.यही कारण है कि मुलायम सिंह और उनका पूरा परिवार सैफई के लोगो के त्याग-भावना का सम्मान करते है. उनके सुख- दुःख को अपना समझते है.

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