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आला हज़रत की याद में तकरीर व नात का हुआ मुकाबला, मिला ईनाम

 


गोरखपुर, उत्तर प्रदेश चिंगी शहीद तुर्कमानपुर में आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां की याद में बच्चों के बीच तकरीर, नात व मनकबत का मुकाबला हुआ। जिसमें मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर व मकतब इस्लामियात जाफ़रा बाज़ार के बच्चों ने हिस्सा लिया। पहला स्थान शिफा खातून, मोहम्मद जैद, दूसरा स्थान मोहम्मद रूशान, तीसरा स्थान मोहम्मद अली ने हासिल किया। मकतब के नसीम अहमद, रहमत अली, नूर फातिमा, नूर सबा, हमजा जमाल, मोहम्मद अर्सलान, मोहम्मद राफे, सहित तमाम बच्चों ने हिस्सा लिया। बच्चों को मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन, नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी, हाफिज़ रहमत अली निजामी, हाजी खुर्शीद आलम खान, अजरा जमाल, सद्दाम हुसैन सलमान, मोहम्मद खुर्शीद, सैयद हुसैन अहमद, मोहम्मद अख्तर, हाफिज आमिर हुसैन, सैयद नदीम, अली गजनफर शाह आदि ने ईनाम से नवाज़ा।

मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि आला हज़रत 10 शव्वाल 1272 हिजरी यानी 14 जून 1856 को बरेली शहर में पैदा हुए। आप बहुत सारी खूबियों के मालिक थे। आप भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे मशहूर शख़्सियतों में से हैं। शायद ही कोई जगह ऐसी हो जहाँ मुसलमान आबाद हों और आपका जिक्र न हो। एक बात जो सिर्फ आपकी ही जात को हासिल है कि 200 साल में किसी भी आलिम-ए-दीन की हयात और ख़िदमात पर इतनी किताबें नहीं लिखी गई जितनी किताबें आपकी ज़िन्दगी पर लिखी गईं। जिनकी तादाद तक़रीबन 528 से ज्यादा है। जो अरबी, फ़ारसी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, पंजाबी, पश्तो, बलूची, कन्नड़, तेलगू, सिंधी, बंगला आदि भाषाओं में है। दुनिया के कमोबेश 15 से ज्यादा विश्वविद्यालय जिनमें अमेरिका, मिस्र, सूडान, भारत, बांग्लादेश आदि से आपकी जात पर पीएचडी और एमफिल की 35 से ज्यादा डिग्रियां मुकम्मल हो चुकी हैं।

मकतब के शिक्षक कारी बदरे आलम, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, हाफिज रहमत अली ने कहा कि आला हज़रत ने 56 से ज्यादा विषयों पर 1000 से ज्यादा किताबें लिखीं। आपका इल्मी दबदबा इतना था कि उस वक़्त के क़ाज़ी-ए-मक्का, मुफ़्ती-ए-मक्का, इमाम-ए-हरम, मुफ़्ती-ए-मदीना, क़ाज़ी-ए-मदीना, उलमा-ए-सीरिया, इराक, मिस्र आपकी तारीफ़ करते थे। अल्लामा डॉक्टर इक़बाल ने आला हज़रत के बारे में कहा था कि आला हज़रत अपने वक़्त के इमाम अबू हनीफ़ा थे। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।


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