लाखों अकीदतमंदों ने अपने मोहसिन को खिराज़ पेश किया - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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लाखों अकीदतमंदों ने अपने मोहसिन को खिराज़ पेश किया

 


बरेली, उत्तर प्रदेश 104 वे उर्से रज़वी के आखिरी दिन आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म लाखों के मज़मे में अदा की गई। इस मौके पर सज्जादानशीन समेत तमाम उलेमा ने दुनियाभर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया गया। कुल शरीफ के बाद तीन रोज़ा उर्स का समापन हो गया। कुल के बाद इस्लामियां मैदान में सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने नमाज़ ए जुमा अदा कराया। इससे पहले मुल्क-ए-हिंदुस्तान समेत दुनियाभर में अमन ओ सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की। मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज की महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती,सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां और उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में हुआ। कारी अलीम रज़ा (साउथ अफ्रीका) ने कुरान की तिलावत की। फिर उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। मुफ़्ती गुलफ़ाम रामपुरी व मौलाना ज़ाहिद रज़ा ने सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां का पैगाम ज़ायरीन तक पहुँचाते हुए कहा की मुसलमान अपने बच्चे व बच्चियों का खास ख़याल रखने व उनको दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम दिलाने पर खास जोर दिया। ताकि बच्चें अपना भला बुरा समझ सके। कहा कि जब बच्चें जवान हो जाये तो उनकी वक़्त पर बेहतर रिश्ता देखकर शादी कर दे। ताकि बच्चे बच्चियां कोई गलत कदम न उठा ले। इससे कानूनी व्यवस्था में भी खलल पड़ता है। साथ ही शादियों में फुजूलखर्ची व दहेज़ जैसी सामाजिक बुराईयों को खत्म करें। नबीरे आला हज़रत तौसीफ रज़ा खान (तौसीफ मियां) ने अपने खिताब में आला हज़रत ने मज़हब ओ मिल्लत के लिए जो अज़ीम खिदमात अंजाम दी। आज दुनिया हैरान है। जहाँ एक तरफ फतावा आलमगीरी जिसे उस वक़्त के 500 उलेमा मिलकर 2 जिल्दों में तैयार करते है। वही वक़्त के इमाम इमाम अहमद रज़ा तन्हा फतावा रज़विया 12 जिल्दों में लिख देते है जिससे दुनियाभर में आज भी शरई मसले हल किये जा रहे है। नबीरे आला हज़रत मुफ्ती अरसालन रज़ा खान (अरसालन मियां) ने कहा कि इश्क ओ मोहब्बत,इल्म ओ तहक़ीक़ का नाम रज़वियत है। नबी ए करीम की पैरवी का नाम रज़वियत है। सुन्नियत का मिशन आला हज़रत के दादा मुफ़्ती रज़ा अली खान ने जो शुरू किया जो आज भी जारी है। आला हज़रत व उनके बाद मुफ्ती-ए-आज़म और ताजुशशरिया के विसाल के बाद जो खला पैदा हुआ जिसकी कमी कभी पूरी नही की जा सकती। मुफ़्ती सलीम नूरी ने सभी से मसलक ए आला हज़रत पर सख्ती से कायम रहने और इल्म हासिल करने पर जोर दिया। भारतीय कोर्ट में बढ़ते मुकदमों की संख्या के मद्देनजर अपने छोटे मोटे मसले आपस मे ही सुलझाने की अपील की। मुफ़्ती आकिल रज़वी व अल्लामा सगीर अख्तर जोखनपुरी ने पैगाम दिया कि तिरंगा झंडा जिस तरह हमारे मुल्क की पहचान है और हम लोगो ने जश्ने आज़ादी के मौके पर घर घर लगाया ठीक उसी तरह पैगम्बर ए इस्लाम की यौमे विलादत के मौके पर दुनियाभर में मुसलमान परचम-ए-रिसालत अपने अपने घरों पर लगा कर आशिके रसूल का सुबूत दे। मुफ्ती आकिल रज़वी ने दूसरा पैगाम दिया कि मुसलमान अपने भाई-भाई के झगड़े फ़साद शरई रौशनी में हल करें। बेवजह मुकदमेबाजी में न फसे। मुफ़्ती अय्यूब ने देहात में नमाज़ ए जुमा व लाउडस्पीकर पर नमाज़ को लेकर चर्चा की।  कारी सखावत नूरी ने मुसलमानों के जुलूस में बजते डीजे पर सख्त मज़म्मत करते हुए आने वाले जुलूस-ए-मोहम्मदी पर डीजे पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। कारी इकबाल रज़ा ने कहा कि जो अपने लिए जीते है वो खत्म हमेशा के लिए खत्म हो जाते है और जो दुनिया के लिए कुछ करके जाते है उनको याद हमेशा याद रखती है यही वजह है कि आज 104 साल बाद भी दुनिया आला हज़रत को याद कर रही है। लंदन से आये अल्लामा अज़हरुल क़ादरी ने अपना अखलाक व किरदार बेहतर करने व आला हज़रत के पैगाम को आम करने को कहा। मौलाना मुख्तार बहेडवी ने दरगाह प्रमुख का पैगाम सुनाते हुए इस्लामिया की कमेटी से बॉउंड्री वॉल बनाने व कॉलेज के मैदान को कब्ज़ा मुक्त करने को कहा। आगे कहा कि कमेटी नही कर पाती है तो दरगाह अपने स्तर से कदम उठायेगी। मौलाना नोमान अख़्तर व मौलाना हाशिम रज़ा ने कहा कि अंग्रज़ों का मिशन था की लड़ाओ और राज्य करो। जब हक़  परस्तों की आवाज़ दबाई जा रही थी। उस वक़्त में उलेमा की बड़ी जमात ने देश की खातिर कुर्बानिया देकर मुल्क को आज़ाद कराने में अहम किरदार निभाया।  मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ने कहा कि आला हज़रत ने हमारे ईमान और अक़ीदे की हिफाज़त की। मुफ़्ती इमरान हनफ़ी ने आला हज़रत को भारत रत्न कहा और हुक़ूमत से भारत रत्न देने की मांग की।  कश्मीर के मौलाना फ़ारूक़, मौलाना ज़िकरुल्लाह, मौलाना सुल्तान अशरफ,मुफ़्ती शमशुद्दीन, मौलाना शमसुद्दीन हक़ (बांग्लादेश) ने भी खिताब किया।  नात-ओ-मनकबत दरगाह प्रमुख के पोते सुल्तान मियां,दिलकश रॉचवी,मौलाना फाइक़ उल जमाली,आसिम नूरी,मुस्तफ़ा रज़ा आदि ने पड़ी।     उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान,मौलाना ज़ाहिद रज़ा,शाहिद खान,हाजी जावेद खान,नासिर कुरैशी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,आसिफ रज़ा,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा,खलील क़ादरी,सय्यद फैज़ान अली,इशरत नूरी,तारिक सईद,यूनुस गद्दी,जुहैब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,हाजी अब्बास नूरी, मोहसिन रज़ा, सय्यद माजिद,ज़ीशान कुरैशी, सय्यद एज़ाज़,काशिफ सुब्हानी,सबलू अल्वी,मुलतज़म कुरैशी,साजिद नूरी,फ़ारूक़ खान,अब्दुल वाजिद नूरी,शहज़ाद पहलवान,गफ़ूर पहलवान,काशिफ रज़ा,यूनुस साबरी, शारिक बरकाती,आसिफ नूरी,आरिफ नूरी,फ़ैज़ कुरैशी,ज़हीर अहमद,अब्दुल माजिद,अश्मीर रज़ा,सय्यद फरहत,शारिक उल्लाह खान,हाजी अज़हर बेग,सय्यद जुनैद,इरशाद रज़ा,जावेद खान,साकिब रज़ा,अजमल खान,समी खान,फ़ैज़ी रज़ा,नफीस खान,अदनान खान,सुहैल रज़ा,अयान क़ुरैशी,सय्यद जुनैद,शाद रज़ा,मिर्ज़ा जुनैद,यामीन कुरैशी आदि ने सम्भाली।

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