उर्स शाह गुलाम रसूल रसूल नुमा हज़रत दादा मियां रहमतिल्लाह आले
कानपुर, हजरात दादा मियां अलमारूफ गुलाम रसूल नुमा दादा मियां का चौराहा बेकन गंज कानपुर खानकाह दादा मियां में जनाब प्रोफेसर सैयद अबुल हसनात हक्की साहब की सरपरस्ती में हुआ . शुक्रवार को गुसल पीर जद सैयद आसिफ ज़ैदी की देख रिख में बेला साहब रेडिमेट शौकत साहब सालीम वारसी साहब ने किया और शनिवार शाम में नातिया मुशायरा सिराते सहाबा राजियाल्लाह अन्ह और रविवार सुबह फजर के बाद क़ुरान खानी और 12 बजे दिन कुल शरीफ़ के बाद लांगर की तकसीम पे खतम हुआ उर्स शरीफ में जनाब मौलाना कासिम हबीबी साहब इमाम मस्जिद शफिया बाद चमन गंज जनाब मिकाइल जिआई साहब शहर काज़ी कानपुर जनाब मुफ्ती साकिब मिस्बाही साहब जनाब हनीफ साबरी साहब जनाब खुर्शीद साहब हात दादा मियां मोजूद रहे . दादा मियां ने कानपुर में 1857 में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हर धर्म के बीच एकता का चिराग़ जलाया था वो आजतक जल रहा है सभी धर्मों के अनगिनत अकीदत मंद लोगो ने उर्स शरीफ में हाजरी दी दुआयें की लांगर चखा – सज्जादा नशीन सैयद मोहम्मद अकबर ज़ैदी ( पप्पू मियां ) नाएब सज्जादा नशीन सैयद अबूजर ज़ैदी जनाब मरहूम सैयद एहसान ज़ैदी साहब और मरहूम जनाब सैयद अरशद ज़ैदी साहब के लिए दुआओं की गुजारिश है मौला अपने हबीब स. अ. वा के सदके इनके दरजात बुलन्द करे आमीन ।
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