बाल श्रमिक मजदूरों के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा विद्यालय में नामांकन कराना। सोनिया - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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बाल श्रमिक मजदूरों के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा विद्यालय में नामांकन कराना। सोनिया

 


संतकबीरनगर उत्तर प्रदेश की व्यायाम शिक्षिका सोनिया ने कहा कि श्रमिक मजदूरों के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा विद्यालय में नामांकन करा कर बाल श्रमिक मजदूरी को रोकना है।आज लगभग 5 करोड़ बच्चे बाल श्रमिक हैं. इन बालश्रमिकों में से 19 प्रतिशत के लगभग घरेलू नौकर हैं, ये ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों में तथा कृषि क्षेत्र से लगभग 80 प्रतिशत जुड़े हुए हैं. कुछ बच्चों के अभिभावक ही बहुत थोड़े पैसों में उनको ऐसे ठेकेदारों के हाथ बेच देते हैं जो अपनी व्यवस्था के अनुसार उनको होटलों, कोठियों तथा अन्य कारखानों आदि जिससे वे बच्चों को थोड़ा सा खाना देकर मनमाना काम कराते हैं. 18 घंटे या उससे भी अधिक काम करना, आधे पेट भोजन और मनमाफ़िक काम न होने पर पिटाई यही सब उन बच्चों का जीवन बन जाता है. 

केवल घर का काम नहीं इन बालश्रमिकों को ईट भट्ठे पर काम करना , होटल पर काम करना ,पटाखे बनाना, कालीन बुनना, वेल्डिंग करना, ताले बनाना, पीतल उद्योग में काम करना, कांच उद्योग, हीरा उद्योग, माचिस, बीड़ी बनाना, खेतों में काम करना, कोयले की खानों में, पत्थर खदानों में, सीमेंट उद्योग, दवा उद्योग में तथा होटलों व ढाबों में झूठे बर्तन धोना आदि सभी काम मालिक की मर्ज़ी के अनुसार करने होते हैं. इन समस्त कार्यों के अतिरिक्त कूड़ा बीनना, पोलीथिन की गंदी थैलियां चुनना, आदि अनेक कार्य हैं जहां ये बच्चे अपने बचपन को नहीं जीते, नरक भुगतते हैं परिवार का पेट पालते हैं. 


ऐसे बाल श्रमिकों से सम्बंध कुछ और भी गंभीर समस्या है, जैसे बहुत बार इन बच्चों को तस्करी आदि कार्यों में भी लगा दिया जाता है. मादक द्रव्यों की तस्करी में व अन्य ऐसे ही कार्यों में इनको संलिप्त कर इनकी विवशता का लाभ उठाया जाता है.  

12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) के रूप में मनाया जाता है. 19 साल पहले इसकी शुरूआत अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने बाल श्रम को रोकने के लिए की गई थी. इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य बच्चो को समाज की मुख्य धारा में शामिल करना है बाल श्रम मे बच्चों को यौन शोषण का शिकार भी होना पड़ता है। और खतरनाक उद्योगों में काम करने से कैंसर और टीबी आदि जैसी गंभीर बीमारियां का सामना करना पडता है। एक तरह से बाल श्रमिक का जीवन जीते जी नरक बन जाता है।

आज बाल मजदूरी समाज पर कलंक है। इसके खात्मे के लिए सरकारों और समाज को मिलकर काम करना होगा। साथ ही साथ बाल मजदूरी पर पूर्णतया रोक लगनी चाहिए। बच्चों के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए अनेक योजनाओं का प्रारंभ किया जाना चाहिए। जिससे बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव दिखे। और शिक्षा का अधिकार भी सभी बच्चों के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। गरीबी दूर करने वाले सभी व्यवहारिक उपाय उपयोग में लाए जाने चाहिए। बालश्रम की समस्या का समाधान तभी होगा जब हर बच्चे के पास उसका अधिकार पहुँच जाएगा। इसके लिए जो बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं, उनके अधिकार उनको दिलाने के लिये समाज और देश को सामूहिक प्रयास करने होंगे। आज देश के प्रत्येक नागरिक को बाल मजदूरी का उन्मूलन करने की जरुरत है। और देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल श्रमिक दिखे, तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल मजदूरी का विरोध करे और इस दिशा में उचित कार्यवाही करें साथ ही साथ उनके अधिकार दिलाने के प्रयास करें। क्योंकि बच्चे ही भारत के भविष्य हैं। क्योंकि जब तक बच्चों को उनके अधिकारों और शिक्षा से वंचित रखा जायेगाा तब तक देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना करना निरर्थक है।

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