हज मोह्ताज्गी और गुनाहों को दूर करता है हज से नफ्स पाकीज़ा और रिजक कुशादा होता है (मौलाना मो.हाशिम अशरफी) - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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हज मोह्ताज्गी और गुनाहों को दूर करता है हज से नफ्स पाकीज़ा और रिजक कुशादा होता है (मौलाना मो.हाशिम अशरफी)

 


कानपुर,हज एक अहम् इबादत है पूरी ज़िन्दगी में हज एक बार फ़र्ज़ है और एक से जियादा मुस्तहिब है हज मोह्ताज्गी और गुनाहों को दूर करता है हज से नफ्स पाकीज़ा और रिजक कुशादा होता है हदीस पाक का मफहूम है जिस शख्स ने अल्लाह की खुशनूदी के लिए हज किया उस दौरान कोई गुनाह नहीं किया तो वह गुनाहों से इस तरह पाक हो कर लौटता है जैसे माँ के पेट से पैदा होते वक़्त बच्चा गुनाहों से पाक होता है इन विचारों को मौलाना मो. हाशिम अशरफ़ी संस्थापक मदरसा अशरफुल मदारिस गद्दियाना ने मदरसा में आयोजित जश्ने ज़ियारते हरमैंन में व्यक्त किये | अशरफी ने कहा काबा शरीफ़ अल्लाह का ऐसा घर है जहाँ सुबह शाम में 120 रहमतें उतरती हैं 60 तवाफ़ करने वालों के लिए 40 नमाज़ पढ़ने वालों के लिये और २० जियारत करने वालों के लिए | उनहोंने रौज़ा-ए-रसूल की हाजिरी का तरीका बताते हुए कहा कि यह बहुत ही साहिति एवं सम्मान की जगह है | यहाँ उँगलियों का इशारा ना करें पंजों के बल ना खड़े हों बल्कि सर झुकाए आँखें नीची किये हुए दुरूद व सलाम पढ़ते रहें | श्री अशरफ़ी साहब ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लाम बराबरी का सन्देश देता है | इस्लाम में ज़ात पात उंच नीच भेद भाव की कोई जगह नहीं | पैगम्बरे इस्लाम ने हज्जतुल विदा के मौके पर कहा अरबी को अजमी पर गोरे को काले पर कोई प्राथमिकता नहीं बल्कि तुम में बेहतर वह है जो नेक और भले कार्य करे | और हज से भी यही सन्देश मिलता है | सब हाजी एक ही वस्त्र (दो चादर) में होते हैं| अमीर ग़रीब ज़ात पात का कोई भेद भाव नहीं होता है |आज समाज में लोग धन दौलत की वजह से लोगों को इज्ज़त देते हैं इस लिए बहुत से लोगों के मन में धन का लालच है इस लिए लोग धन कमाने के लिए घूस खोरी,टेक्स की चोरी गुंडा गर्दी जैसे पाप करते हैं अगर लोग सिर्फ भले काम करने वालों को ही इज्ज़त दें तो समाज से बहुत सी बुराइयाँ समाप्त हो जाएँगी |मौलाना अशरफ़ी ने मुल्क भर के तमाम हाजियों से अपील की है कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों की जान व माल पर जो अज़ाब हो रहा है उस से निजात के लिए मक्का और मदीना में खुसूसी दुआ करें | इस से पूर्व कुरान पाक की तिलावत से महफ़िल का आगाज़ कारी मो.अहमद अशरफी ने किया | संचालन हाफिज अरशद अशरफ़ी ने किया | यूसुफ कानपुरी,अजरत अली,मुख़्तार,तौसीफ ने नातें पढ़ीं | सलातो सलाम के बाद भारत समेत पूरी दुनिया में अमन व शान्ति के लिए दुआएं की गयीं | आजमीन हज में से मो.उमर,नुरुल हुदा,मो.वसीम,मो.फहीम साहबान का खुरशीद आलम साहब ने हार व फूल से शान दार इस्तिक्बाल किया | इस अवसर पर प्रमुख रूप से जामिया के शिक्षकों एवं छात्रों के अलावा अकील हसन,एम एम खान,मौलाना फ़तेह मोहम्मद कादरी,हाजी हबीब,हाजी सुलेमान अशरफी,हाजी हैदर अली,हाजी अब्दुल हमीद अशरफी,हाजी सलीम अहमद,मो.मुफीस,मो.वारसी,लाल मोहम्मद,अब्दुल करीम,मौलाना महमूद हस्सान अख्तर , कारी मो.आज़ाद अशरफ़ी,मौलाना मसूद रज़ा अशरफ़ी,हाफिज मो. मुश्ताक,हाफिज हशमतुल्लाह,हाफिज नदीम,हाफिज रिज़वान आदि उपस्थित थे


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