महिला धर्मगुरुओं ने पैगंबरे इस्लाम की शान व इल्म की अहमियत बताई
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश पैगंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जिस समाज का निर्माण किया उसमें बड़ों का अदब, छोटे से प्रेम, कमजोरों के प्रति सहानुभूति, बच्चों से प्यार, महिलाओं का सम्मान, मजदूरों के साथ उचित व्यवहार, कानून के प्रति जागरुकता और अन्याय के प्रति घृणा का वातावरण उत्पन्न हुआ। इस तरह पैगंबरे इस्लाम ने ऐसे आधुनिक इस्लामी समाज का निर्माण किया और एक ऐसे शासन-व्यवस्था की आधारशिला रखी, जिसके आधार पर आज बड़ी आसानी से आधुनिक युग का निर्माण किया जा सकता है। पैगंबरे इस्लाम बहुत ही शानो अजमत वाले हैं।
यह बातें बतौर मुख्य अतिथि रसूलपुर की मुफ्तिया गाजिया खानम अमजदी ने कही। मौका था पठनपुरवा, कैम्पिरगंज में 'मदरसा फातिमतुज्जोहरा निस्वां कॉलेज' के उद्घाटन का
उन्होंने कहा कि इल्म का सीखना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज़ है। वह इल्म जो हमें हलाल और हराम में फ़र्क़ बताए और जो अल्लाह के फरमान के खिलाफ ना हो वो इल्म ही सही मायने में इल्म है। दीन-ए-इस्लाम में इल्म की अहमियत का अंदाजा क़ुरआन-ए-पाक की पहली आयत इक़रा से लगाया जा सकता है। बिना इल्म के इंसान ना दुनिया संवार सकता है और ना ही आख़िरत
विशिष्ट अतिथि आलिमा महजबीं सुल्तानी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम अल्लाह के द्वारा दिया गया संदेश है जो कुरआन-ए-पाक के रूप में आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ऊपर नाजिल हुआ। पैगंबरे इस्लाम ने अल्लाह के हुक्म के अनुसार अमल करते हुए अपनी पूरी ज़िंदगी गुजारी। अल्लाह का आदेश और पैगंबरे इस्लाम की अमली ज़िदगी मिलकर ही दीन-ए-इस्लाम को मुकम्मल करती है। दीन-ए-इस्लाम अल्लाह का भेजा हुआ सच्चा दीन है, जिसके अंतर्गत इंसान अपनी ज़िदगी के तमाम पहलुओं सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, नैतिक आदि में कामयाबी हासिल कर सकता है।
अंत में दरूदो-सलाम पढ़कर अमनो अमान की दुआ मांगी गई। कार्यक्रम में आलिमा सलवातुन्निसा, आलिमा महजबीं अमजदी, आलिमा नाजिश फातिमा शम्सी, गुलअफ्शां खातून, नाजमीन फातिमा सुल्तानी आदि शामिल हुईं।
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