यूरिया के अत्यधिक उपयोग से जल की गुणवत्ता हो रही प्रभावित, जैविक खाद का करें उपयोग - प्रोफ़ेसर सिंह - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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यूरिया के अत्यधिक उपयोग से जल की गुणवत्ता हो रही प्रभावित, जैविक खाद का करें उपयोग - प्रोफ़ेसर सिंह

 


छतरपुर महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की भूगर्भ शास्त्र अध्ययन शाला एवं शोध केंद्र द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव तथा विश्व बैंक परियोजना की गुणवत्ता उन्नयन परियोजना के तहत विश्वविद्यालय के सरस्वती सभागार में अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया।विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. टी. आर. थापक तथा कुलसचिव डॉ. जे. पी. मिश्र के निर्देशन में अतिथि व्याख्यानों की श्रृंखला चल रही है। व्याख्यान के प्रारंभ में अध्ययन शाला के अध्यक्ष प्रो. पी. के. जैन ने प्रो. एम. एम. सिंह, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी का परिचय देते हुए विषय का प्रवर्तन किया। मुख्य वक्ता प्रो. एम. एम सिंह ने पीपीटी के माध्यम से जल की गुणवत्ता के बारे में बतलाते हुए जल की गुणवत्ता के प्रकार, विश्व स्वास्थ्य संगठन, भारतीय चिकित्सा परिषद एवं भारतीय मानक ब्यूरो के पेयजल के मानकों को विस्तार से समझाया। प्रो. सिंह ने भारत में फ्लोराइड आर्सेनिक, नाइट्रेट एवं आयरन के अत्यधिक सांद्रण के दुष्परिणामों के कारण होने वाली विभिन्न बीमारियों के बारे में भी विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि किसानों को रासायनिक खाद यूरिया के स्थान पर जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए, जिससे नाइट्रेट का सांद्रण जल में मानक स्तर के बराबर हो सके। उन्होंने जल के फिल्टर करने की विभिन्न विधियों के बारे में भी बताया। वहीं भूजल के सीमित उपयोग की सलाह देते हुए कहा कि भूजल का स्तर बहुत नीचे जा रहा है, उसको कृत्रिम विधियों वाटर हार्वेस्टिंग जैसी विधियों के द्वारा रिचार्ज करना चाहिए। इस व्याख्यान से एम.एस.सी द्वितीय तथा चतुर्थ सेमेस्टर के भूगर्भ अध्ययन शाला के विद्यार्थी लाभान्वित हुए। विभाग के अतिथि विद्वान गुट्टीलाल कुशवाहा, मुमताज जंहा मंसूरी, आसिया बानो तथा आशी जैन उपस्थित रही। तकनीकी सहयोग कंप्यूटर ऑपरेटर श्री सत्यम गुप्ता का रहा।

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