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कोविड से निबटने की जांची गयी तैयारी,  पांच स्‍वास्‍थ्‍य इकाइयों पर मॉक ड्रिल

 


संतकबीरनगर, कोविड जैसी आपात स्थिति कभी भी आ सकती है। इसके लिए हर समय तैयार रहना होगा। जिले में जितने भी कोविड के लिए प्रशिक्षित स्‍टाफ हैं वह निरन्‍तर इसके प्रति सतर्क रहें। जो भी प्रशिक्षण उनको मिला हुआ है उस प्रशिक्षण को वह समय समय पर दोहराते रहें, ताकि आवश्‍यकता करने पर वह अपनी विधा का समुचित रुप से उपयोग कर सकें।

यह बातें संयुक्‍त निदेशक बस्‍ती मण्‍डल डॉ आलोक वर्मा ने जनपद में  पांच स्‍वास्‍थ्‍य इकाइयों पर शासन के दिशा-निर्देश पर कोविड 19 से बचाव के लिए आयोजित मॉक ड्रिल के दौरान कहीं। मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ इन्‍द्र विजय विश्‍वकर्मा के निर्देशन में जिला अस्‍पताल की एमसीएच विंग, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र मेहदावल, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हैसर बाजार, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र सेमरियांवा व सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद में यह मॉक ड्रिल आयोजित की गयी।  इस दौरान जिला स्तर पर बनाए गए पर्यवेक्षण अधिकारी इन तैयारियों का परीक्षण चेकलिस्ट के हिसाब से करते रहे।


मॉक ड्रिल के दौरान स्वास्थ्य इकाइयों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट ,नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट और स्वास्थ्य केंद्रों की तैयारियों को परखा गया। इस दौरान यह देखा गया कि तीसरी लहर के लिए हेल्थ सिस्टम कितना तैयार है, साथ ही अस्पतालों में कोरोना से इलाज के कितने इन्तजाम हैं। अधिकारीगण हर चरण का चेकलिस्ट के हिसाब से मिलान करते रहे। अगर बीच में कहीं कोई चरण छूट गया तो उसको रिपीट कराया गया। निरीक्षण के दौरान अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मोहन झा,जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ एस रहमान, जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ आर डी मौर्या , अधीक्षक मेंहदावल सीएचसी डॉ इन्द्रदेव गौरव तथा एपीडेमियोलाजिस्ट ( जिला महामारी रोग विशेषज्ञ ) डॉ मुबारक अली व अन्य स्टाफ मौजूद रहे।  

मॉक ड्रिल के दौरान परखी गयीं यह तैयारियां

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि माक ड्रिल पूरी कोविड किट के साथ की गर्इ । प्रयोज्य के रुप में रखे गए बच्चों पर हर उपकरण का छद्म ट्रायल किया गया। माक ड्रिल के दौरान पीडियाट्रिक कोविड केयर यूनिट,नियोनेटल इमरजेंसी केयर यूनिट, कोविड केयर वार्ड में उपकरणों व स्टाफ की जांच, ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट, वेंटिलेटर, बाइपैप, मास्क व जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता, ऑक्सीजन सप्लाई व ऑक्सीजन की उपलब्धता, पीपीई किट, स्टाफ का व्यवहार, विशेषज्ञों, चिकित्सक, नर्स व अन्य स्टाफ की उपलब्धता, कंट्रोल रूम, स्टाफ की सक्रियता, ड्यूटी रोस्टर,एंबुलेंस चालकों का व्यवहार, एंबुलेंस की व्यवस्था  के साथ ही उपकरणों की उपलब्धता की मॉनिटरिंग की गई। मॉक ड्रिल पूरी तरह से सफल रही तथा आवश्यकता की दवाइयों के साथ ही अन्य उपकरण भी संचालित मिले। स्टाफ को कर्इ चक्रों में प्रशिक्षित करने का नतीजा रहा कि कहीं कोर्इ गलती नहीं मिली।

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