जीवन बचाने वाले वृक्ष की पूजा करना ही धर्म - इन्दु यादव - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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जीवन बचाने वाले वृक्ष की पूजा करना ही धर्म - इन्दु यादव


 संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश वट सावित्री व सोमवती अमावस्या पर्व पर महिलाओं में पूजा-पाठ को लेकर सोमवार उत्साह रहा। व्रत अनुष्ठान करने वाली सुहागिनों के साथ अन्य महिलाओं ने पूजन में हिस्सा लिया। सुहागिनों ने किया पूजन, पति की दीर्घायु की प्रार्थना ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष अमावस्या को वट सावित्री पर्व पर को सुहागिनों ने पूजन-अर्चन किया। सुख, समृद्ध व दीर्घायु की प्रार्थना की। महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर उत्साह से परंपरागत श्रद्धा भाव से वट वृक्ष का पूजन और परिक्रमा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना की।

उत्तर प्रदेश राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक इंदु यादव ने कहा कि  जीवन बचाने वाले वृक्षों की पूजा करने की परंपरा सदियों पुरानी है। हमारे धर्मशास्त्रों में पीपल, पाकड़, बरगद, आम और गूलर को पंच पल्लव कहा गया है। इन पेड़ों से जीवन को संचालित करने वाली आक्सीजन उत्सर्जित होती है। अटल विश्वास व शांति का प्रतीक वट सावित्री पूजा हमारी संस्कृति व परंपरा से जुड़ा है। अखंड सौभाग्य को लेकर पूजन होता है।

वृक्ष की परिक्रमा व वट सावित्री व्रत कथा में पूर्ण विश्वास निहित है।

जिस तरह से पेड़ कट रहे हैं ऐसे में अब इसका ख्याल रखकर पेड़-पौधों पर ध्यान देना होगा।  कोरोना ने सबको बरगद और पीपल का महत्व समझा दिया है। हमारे ऋषि-मुनियों को इन वृक्षों के महत्व का भाव रहा है। कोरोना महामारी में हजारों लोग आक्सीजन के लिए मर गए। अभी भी समय है कि हम इन पेड़ों के महत्व को समझें। वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा का महत्व है। वृक्षों का संरक्षण और नए पौधों का रोपण नहीं किया गया तो हमारी आने वाली पीढि़यां हमें माफ नहीं करेंगी। कोरोना ने बरगद, पीपल और पाकड़ के महत्व को समझा दिया है। यह पर्व दो बड़ा संदेश देता है। सावित्री के रूप में स्त्री सशक्तीकरण, बुद्धिमत्ता और दृढ़ निश्चय की प्रतिमूर्ति है। जिसके समक्ष नतमस्तक होकर यमराज को भी उनके पति सत्यवान को जीवनदान देना पड़ा था। इसके साथ ही इस त्योहार में वातावरण को शुद्ध रखकर जीवन बचाने वाले बरगद की पूजा सदियों से इसलिए हो रही है क्योंकि यह जीवनदायी वृक्ष है। अभी भी समय है सभी लोग पंच पल्लव वृक्षों की महत्ता को समझें। शास्त्रों में वर्णित है कि बरगद का पेड़ समृद्धि व संपन्नता सहित लंबी आयु का प्रतीक है। इसके पूजन से गुरु सहित नवग्रहों की शुभता में वृद्धि होती है। कोरोना काल ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया। पौधारोपण व वृक्षों के संरक्षण संवर्धन के प्रति सबको समर्पित कर दिया है। आज ऐसे वृक्षों की अनिवार्यता महसूस की जा रही है।

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