राजा का कार्य सदैव प्रजा के लिए होता है, अत्याचार अनाचार का विरोध प्रजा करना जानती है ,। अनिल प्रजापति अध्यक्ष राष्ट्रीय महासभा संघ - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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राजा का कार्य सदैव प्रजा के लिए होता है, अत्याचार अनाचार का विरोध प्रजा करना जानती है ,। अनिल प्रजापति अध्यक्ष राष्ट्रीय महासभा संघ

 


संत कबीर नगर जिस देश का राजा अपनी प्रजा पर अनाचार, अत्याचार करता है उसे एक दिनप्रजा के विरोध का सामाना करना पडता है। उक्त बातें प्रजापति महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार प्रजापति द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि ऐसे ही जिस देश की सरकार अपनी प्रजा पर अनाचार, अत्याचार करवाती है उस देश की प्रजा एक समय बाद विरोध करती है! वैसे ही गांव का मुखिया जो अपने ही ग्रामसभा में अगर एक तरफा अनाचार, आत्याचार करे तो उसका विरोध ग्रामसभा के सदस्य करते हैं! क्योंकि घमंड और अहंकार हमेशा सबसे पहले तथाकथित बड़े आदमी, धनवान व ताकतवर व्यक्ति में ही पनपता है ना कि प्रजा में ! प्रजा कभी राजा/जनप्रतिनिधि पर अनाचार नहीं करती! जब तक राजा/जनप्रतिनिधि खुद बाध्य ना करे! क्योंकि प्रजा हमेशा एक समय तक अनाचार, अत्याचार को सहती है और जब पानी सर से ऊपर उतर जाये तो उसी भाषा में विरोध दर्ज कराती है! और जब राजा/जनप्रतिनिधि प्रजा के खिलाफ गलत करके गलती नहीं मानता! तब वह प्रजा में असंतोष पैदा करता है और अपने प्रति सहानूभूति बनाये रखने के लिए झूठ, मक्कारी, भ्रम फैलाता है और समय को खीचता है! इसलिये किसी के प्रति निर्णायक फैसले से पहले बातों की गहराईयों को समझना जरुरी है! सत्य हमेशा अकेला ही होता है और झूठ के साथ हमेशा, मूर्खो, स्वार्थियों, लालचियों की फोज होती है! जो झूठ के साथ हमेशा लामबंद रहती है सत्य में इन्हें स्वार्थ हित की संभावना नहीं दिखती! इतिहास इस बात का गवाह है कि हर अत्याचार और अनाचारीयों का विरोध हुआ है इतना ही नहीं एक अलग तरीके से मुखर होते हुए बगावत की बिगुल बजा देती है चाहे वह अंग्रेजों के दमनकारी नीत हो या लौह महिला कल आने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी का निशा और डी आई आर रहा वह सभी प्रजा के विरोध के सामने नतमस्तक होते हुए शासन और सत्ता से बाहर हो गए भारतीय सनातन धर्म के संदेशवाहक भगवान श्री कृष्ण द्वारा गीता में अपने उद्देश्य के माध्यम से बताया गया है कि प्रजा हित ही राजा का सर्वोपरि काम है वह सदा उनके सुख-दुख के लिए नींद नियामक बनाते हुए जनता को अपने साथ लेकर चलती हुई अच्छे समाज की भूमिका अदा करते हैं, आज पूरी तरह से यह देखने को मिल रहा है शासन के नुमाइंदे करने वाले लोग अपने अहम में घूमते हुए अपनी सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए प्रजा हित के कार्यों से अनभिज्ञ बनते जा रहे हैं जिसका जवाब आने वाले समय में प्रजा ही देगी,।  

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