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मर्दों की तालिम ज़रूरी तो है। मगर। पढ़ जाए जो खातून तो नस्लें संवार दे


 विश्व ज्ञान और साहित्य और दानिशमंदी का दबदबा है।  ऐसे में हमें महिलाओं की महानता को समझने की जरूरत है।  क्यूंकि क़ुरआन खुद औरतों के बारे में कहता है कि अगर औरत माँ है तो उसके पैरों तले जन्नत ढूंढो, और अगर बेटी है तो उसकी अच्छी परवरिश के बदले स्वर्ग मिलने की खुशखबरी दी जाती है।  और अगर बहन है तो उसके बदले सदका ओ जिहाद का पुण्य  प्राप्त होगा। और अगर  पत्नी है। तो वो तुम्हारा पहनावा होगा।  महिलाएं हर तरह से पुरुषों की साथी रही हैं।

 इसलिए हर बच्चे के लिए

 माँ की गोद शिक्षा का सबसे अच्छा केंद्र है। एक शिक्षित महिला  परिवार के लिए प्रकाश की तरह होती है जो समस्याओं के अंधेरे को दूर करती है। विद्वानों का कहना है कि एक शिक्षित महिला एक सभ्य समाज के लिए बल्कि शिक्षित समाज बनता है। समाज का पिछड़ापन प्रभावित होता है लेकिन शिक्षा के प्रकाश में पूरे समाज को पुरस्कृत किया जाता है। इसलिए इस्लाम ने भी शिक्षा जीवन को गतिमान और सफल रखने का सबसे बड़ा तरीका बताया है। शिक्षा प्राप्त करने मे पुरुष ओ महिलाओं मे अंतर नहीं डाला है। बल्कि सफलता का राज शिक्षा को बताया है।

 शिक्षा की शक्ति भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण हथियार बन गई है। शिक्षित महिलाएं बच्चों की एक पीढ़ी को साक्षर बना सकती हैं।और यह पीढ़ी देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। शिक्षित महिलाएं  के लिए खाना परोसने और हुनर   दोनों निहित होती हैं। जब एक शिक्षित व्यक्ति बाजार में प्रवेश करता है! तो विकास के अधिक रास्ते खुलते हैं। मांग भी बढ़ती है। आय भी उससे अधिक होती है। जिसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। ऐसे मामलों में शिक्षा महिलाओं के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही एक आत्मनिर्भरता का माहौल बनता है। लेकिन समय का विज्ञान यह है कि सरकार के तमाम प्रयासों और योजनाओं के बावजूद भारत में हर चौथा व्यक्ति निरक्षर नहीं है और इस निरक्षरता के पीछे किसका हाथ है इसके लिए हम जिम्मेदार हैं। या फ़िर सरकार की पॉलिसी नीरक्षरता पैदा कर रही हैं।

 केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में वयस्क शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए "पढ़ना और लिखना अभियान"  शुरू किया है। अभियान का उद्देश्य 2030 तक देश में साक्षरता दर को 100% तक बढ़ाना है। एक शिक्षित महिला के रूप में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। महिलाएं न केवल पूरे समाज के लिए एक उदाहरण है बल्कि एक प्रकाशस्तंभ जैसी मिसाल होती हैं।

 कहा जाता है कि किसी भी सफलता में महिलाओं का हाथ ज़रूर होता है।  लेकिन दुर्भाग्य से कुछ मुस्लिम परिवारों में उनकी बेटियों को शिक्षा से दूर रखा जाता है।  जबकि सच्चाई यह है कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं।  बच्चों की परवरिश करना और पति के काम में मदद करना, खुद का काम करना पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर अधिक बोझ डालता है इसलिए महिलाओं को शिक्षा से लैस करना बहुत जरूरी है। क्योंकि शिक्षा मनुष्य को बेहतर जीवन जीना सिखाती है।


 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में साक्षरता दर 74% थी। कोविड 19 के कारण 2021 में जनगणना नहीं हो सकी। ऐसे में देश का जनगनणा दर प्रकाश मे नही आया है।  इस संदर्भ में बड़ा सवाल यह है कि क्या 2031 की जनगणना में देश साक्षर हो जाएगा।

 उल्लेखनीय है कि मुसलमानों में साक्षरता दर 4% से अधिक नही हैं। मिल्लत के ज़िम्मेदार फिक्र करें, सड़कें पक्की नही चाहिए, मगर उच्च शिक्षा के लिए कोचिंग, उच्य शिक्षा के लिए स्कूल, कॉलेज सेंटर आदि स्थापित ज़रूर होनी चाहिए ।

 "औरत जो चाहे वो कर सकती है, बस हिम्मत ओ हौसला चाहिए।"

 इसी कारण से हमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शिक्षा से सुशोभित करने की जरूरत है। और लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।


           

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