मामला न्यायालय में विचाराधीन उसके बाद भी अवैध निर्माण जारी
अवैध कमाई के आगे नतमस्तक है कानपुर विकास प्राधिकरण
कानपुर,सत्ता की धमक क्या होती है वह देखना हो तो कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह को देखो,जो अपने वरिष्ठ अधिकारी (मंडलायुक्त) के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल कर अपने अवैध कमाई पर ध्यान केंद्रित किए हैं।और वह ऐसा क्यों ना करें जब उनका अधीनस्थ कर्मचारी देश व प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा का जिला मंत्री हो।
कुछ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जब मंडलायुक्त कानपुर ज़ोन ने अवैध निर्माण रोकने का कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को आदेश किया,परन्तु मंडलायुक्त के आदेश को धता बताते हुए दबंग बिल्डर ने विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों से मिलकर अपना अवैध निर्माण जारी रखा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिविल लाइंस के भवन संख्या 15/58 की न्यू फ्रेंड्स सोसाइटी के निवासीगणों ने मंडलायुक्त कानपुर ज़ोन राजशेखर से मिलकर दबंग बिल्डर तारिक़ अज़ीम व खालिद अज़ीम द्वारा सोसाइटी की छत पर बिना नक़्शे के अवैध तरीके से 5 वीं मंज़िल का निर्माण कराने की शिकायत कि थी।जिस को संज्ञान में लेते हुए मंडलायुक्त कानपुर जोन ने तत्काल प्रभाव अवैध निर्माण रुकवाने का आदेश दिनांक 22 जनवरी 2021 को अपने पत्रांक संख्या 2656 में किया।परंतु विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अरविंद सिंह ने मंडलायुक्त के आदेश पर खानापूर्ति करते हुए अवैध निर्माण रोकने का आदेश पारित कर दिया परन्तु हक़ीक़त में अवैध निर्माण बदस्तूर जारी रहा।इतना ही नहीं उक्त भवन में अवैध निर्माण न हो सके इसका सिविल वाद संख्या 1675/2009 भी सिविल न्यायालय में विचाराधीन है,इसकी जानकारी भी उपाध्यक्ष अरविंद सिंह को है इसके उपरांत भी कानपुर विकास प्राधिकरण कर्मचारियों ने अवैध निर्माण रुकवाने की कोई कोशिश नहीं की।
सूत्रों के अनुसार दबंग बिल्डर तारिक़ अजीम व खालिद अजीम का कानपुर विकास प्राधिकरण में कार्यरत बाबू (जो भाजपा का जिला मंत्री है) से पांचवी मंजिल की अवैध स्लैब डालने का ₹5 लाख में सौदा तय हुआ है,जिसके आगे विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष भी नतमस्तक हैं।
विदित हो कि विभाग में हो रहे इन्हीं अवैध कामों पर पत्रकार सवाल कर रहे हैं,जिससे विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अरविंद सिंह अवैध कामों पर सवाल करने वाले पत्रकारों से खिन्न है,और पत्रकारों के सवालों से बच कर निकल जाते हैं।उल्टा पत्रकारों पर ही प्रश्नचिन्ह लगा कर मिलने से इंकार कर देते हैं।इस संबंध में भी विभाग से जानकारी चाही गई तो कोई भी कुछ भी बोलने से इंकार करता रहा।अब प्रश्न यह उठता है कि सत्ता के नशे में चूर उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण अवैध निर्माण पर रोक लगाएंगे या विभाग के अपने अधिनिस्थ कर्मचारियों को अवैध कमाई के लिए अवैध निर्माण कराने की खुली छूट देते रहेंगे?
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