सोशल आडिट टीम को सर दर्द मानकर किया जा रहा है नजरंदाज
सक्षम अधिकारियो की उदासीनता आ रही नजर
सन्त कबीर नगर सरकार के लिए पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही नीति के साथ सोशल आडिट की भले ही भौतिक सत्यापन के साथ ग्रामीणो के साथ बैठक की प्राथमिकता मे हो लेकिन धरातल पर इसकी अहमियत कौड़ी के भाव है । एक तरफ जहां सोशल आडिट टीम को ,संबंधित अधिकारियो द्वारा फूटी निगाहो से देखा जा रहा है वही सोशल आडिट टीम द्वारा बगैर अभिलेख के सामाजिक अंकेक्षण का वारा - न्यारा कर दिया जा रहा है । जिसका उदाहरण विकास खण्ड सेमरियावा का ग्राम पंचायत पचपोखरिया है जहां सोशल आडिट टीम बगैर अभिलेख के सामाजिक अंकेक्षण कर दिया । उदासीनता मे की गयी सोशल आडिट की हद तब और हो गयी जब रोजगार सेवक , सेक्रेटरी , तकनीकि सहायक आदि के बगैर चन्द ग्रामीणो के बीच सम्पन्न करा दिया गया । यही नही ऐसे ही उदासीन जिम्मेदारी मे ग्राम पंचायत भ्रष्टाचार मे शुमार रखने वाला प्रसादपुर व पचनेउरी का सोशल आडिट बैठक एक दिन के चन्द घंटो के बीच हुए भौतिक सत्यापन के साथ एक से डेढ़ घंटे मे ही खत्म हो गया । बहरहाल सोशल आडिट टीम पचपोखरिया द्वारा बताया गया कि उसके पास कोई अभिलेख उपलब्ध नही है । हम जाबकार्ड की स्थिति व मनरेगा मजदूरो की संख्या इत्यादि के बारे सही जानकारी नही दे सकते । एम आई एस रिपोर्ट के आधार पर सोशल आडिट किया जा रहा है । ऐसे मे यह सवाल उठना लाजिमी है कि सोशल आडिट और उसकी पारदर्शी " पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही " नीतियो के साथ " जाबकार्ड , ई - मास्टररोल , मास्टर रोल प्राप्ति पंजिका , अन्य कार्यदाई संस्थाओ के मास्टररोल का प्राप्ति रजिस्टर , मास्टररोल निर्गमन रजिस्टर , जाबकार्ड आवेदन पत्र रजिस्टर , जाबकार्ड प्राप्ति रजिस्टर , जाबकार्ड निर्गमन रजिस्टर , रोजगार रजिस्टर , ग्रामसभा बैठक की कार्यवाही रजिस्टर , कार्यो की वरीयता सूची ( सेल्फ आफ वर्क ) कार्य पुस्तिका , परिसम्पत्ति रजिस्टर , शिकायत रजिस्टर , निविदा/ संविदा रजिस्टर , सामग्री क्रय रजिस्टर , बाउचर फोल्डर , कैशबुक और लेजर , बैक के लेखो से मिलान विवरणो का फोल्डर , मासिक आवंटन और उपयोगिता प्रमाण पत्रो का रजिस्टर , प्रशासनिक स्वीकृति , कार्य का प्राक्कलन एवं तकनीकि स्वीकृति , ग्रामसभा के संकल्प ( रिजोलूशन ) , कार्य प्रारम्भ का स्वीकृति पत्र , माप पत्रिका , मजदूरी की दरे , कार्यपूर्ति प्रमाण पत्र , आडिट रिपोर्ट , लेबर बजट की प्राथमिकता कहां है ? सवाल यह भी उठता है कि जब इतने पारदर्शी नीतियो के साथ सक्षम अधिकारियो के होते सामाजिक अंकेक्षण का ये हाल है तब उसके दो दिन के बजाय एक दिन के चन्द घंटो के भौतिक सत्यापन एवं दो घंटे की महज बैठक मे प्रधानमंत्री आवास योजना ( ग्रामीण ) एवं मनरेगा कार्यो का कितनी जिम्मेदारी के साथ सामाजिक दायित्व सहभागिता पारदर्शिता को नजरअंदाज करते हुए सोशल ऑडिट टीम द्वारा अपने दायित्वों से विमुख होते हुए समाप्त कर लिए जाते हैं इतना ही नहीं सूत्रों के अनुसार माने तो जिले से आला हुक्मरानों द्वारा टीम के सदस्यों और बीआरपी सदस्यों को इस निर्देश के साथ निर्देशित कर दिया जाता है कि आप सभी लोग मीडिया से दूरी बनाए रखें तभी आपकी सफलता दिखाई देगी जिससे सोशल ऑडिट के द्वारा निदेशालय से जारी आदेशों का खुला उल्लंघन करते हुए अपने दायित्वों का किसी तरह से निर्वहन करते हुए अपनी लीपापोती वाली रिपोर्ट मनरेगा सेल को सौंप देते हैं जिससे विकास से संबंधित अधिकारी संतुष्ट रहते हैं आखिर क्यों , क्या है इसका मतलब है,
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