जिम्मेदारो की जानकारी मे हो रही मनमानी पनप रहा है भ्रष्टाचार कमीशन ने बनाया उदासीन
सन्त कबीर नगर ( मेहदावल ) भ्रष्टाचार के जांच मे भले ही प्रखण्ड सांथा की तरह जनपद के अन्य प्रखण्ड उच्च स्तरीय जांच के दायरे मे आ जाय । लेकिन जिम्मेदारो के कर्त्तव्यपालन मे उदासीनता मे कोई कमी आने नही पायेगी । ऐसा ही कुछ दिखाने के लिए आतुर विकास खण्ड मेहदावल दिखायी दे रहा है जहां के ग्राम पंचायत ददरा मे मनरेगा मजदूर बिना जाब कार्ड के विगत कई पंचायती कार्यकाल से मनरेगा मजदूरी कर रहे है और प्रखण्ड से लेकर विकास भवन के सक्षम अधिकारी मौन बैठे हुए है जबकि जाब कार्ड का महत्व देखा जाय तो आज के पारदर्शी नियम व्यवस्था मे बिना जाब कार्ड के न मनरेगा मजदूरी किया जा सकता है और न ही मजदूरी का भुगतान उठाया जा सकता है । जाब कार्ड का सीधा सम्बन्ध मनरेगा मजदूर के एकांउट नम्बर से अटैच होता है और सरकार से प्राप्त होने वाला मजदूरी सीधे बैक खाते मे जाता है । यह और बात है कि विशेष परिस्थिति मे अनुमति लेकर नगद भुगतान किया जा सकता है ।
बताते चले कि विकास खण्ड मेहदावल के ग्राम पंचायत ददरा मे हुए पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही के अन्तर्गत वर्ष 2020/2021 के मनरेगा कार्य और प्रधानमंत्री आवास योजना ( ग्रामीण ) के सोशल आडिट बैठक के दौरान मिली जानकारी के अनुसार 2020/2021 मे 6076 मानव दिवस मे कुल 13 काम मे 1221477 ( बारह लाख इक्कीस हजार चार सौ सतहत्तर रूपये ) के खर्च मे हुआ है । ग्राम पंचायत मे मनरेगा मजदूरो का कुल 548 जाब कार्ड है लेकिन किसी मनरेगा मजदूर के पास जाब कार्ड नही है । बैठक के दौरान ग्रामीणो द्वारा बताया गया कि भले ही सोशल आडिट टीम द्वारा एम आई एस रिपोर्ट के तहत इस ग्राम पंचायत के कुल मनरेगा मजदूरो का 548 जाब कार्ड का रिकार्ड संख्या बताया जा रहा है लेकिन कई पंचायती कार्यकाल से मनरेगा मजदूरो के पास कोई जाब कार्ड नही है शुरुआती दौर के ग्राम प्रधान द्वारा जबसे जाब कार्ड अपने पास रख लिया गया तबसे आज तक जाब कार्ड देखना नसीब नही हुआ उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत बनने वाले जाब कार्ड का महत्व जहां मनरेगा मजदूरो को साल के 100 दिन का काम देने की गारंटी देता है वही मनरेगा मजदूरो के एकाउंट से अटैच होकर सीधे मजदूरी भुगतान करता है । यही नही जाब कार्ड के जानकारो की माने तो जाब कार्ड से मनरेगा मजदूरो का फोटो युक्त कार्य करने की जानकारी के साथ उन्हे कितना दिन काम मिला है उसकी जानकारी हो जाती है । इसीलिए हर मनरेगा मजदूरो के पास जाब कार्ड होना अनिवार्य है ।
ऐसे मे यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब जाब कार्ड का इतना महत्व है कि मजदूरो का काम और मजदूरी भुगतान इतना पारदर्शी है तब बगैर जाब कार्ड के मनरेगा मजदूरो से कैसे काम कराया जा रहा है और कैसे उन्हे अपने बैक खाते से मजदूरी मिल जा रही है ? सवाल यह भी उठता है कि इतने वर्षो से सक्षम अधिकारियो द्वारा इसे संज्ञानता मे क्यो नही लिया गया ? सवाल यह भी उठता है कि इसके पूर्व हुए कइयो सोशल आडिट के बाद भी मामला दबा क्यो रह गया ?
बहरहाल सूत्रो के मुताबिक निश्चित कमीशन के चलते ही मनरेगा प्रभावित हो रहा है जो प्रत्येक फाइल पर तय है । जिसका प्रमाण विकास खण्ड बघौली है जहां के ग्राम प्रधानो द्वारा धरने पर बैठा गया था और धरना समाप्ति के दौरान फाइल कमीशन भुगतान के बाद दुबारा भुगतान की स्थिति बनी नजर आ रही थी । यही नही इसका एक उदाहरण और है जहां कथित लोग ग्राम प्रधान का प्रतिनिधित्व कर रहे है और सक्षम अधिकारियो द्वारा उन्हे ग्राम प्रधान मानकर तवज्जो दिया जा रहा है ऐसे मे दायित्व का कितना महत्व होगा इसे खुले तौर पर जाना व समझा जा सकता है । लिहाजा यह कहना कोई अतिशयोक्ति नही होनी चाहिए कि जिम्मेदारो की जानकारी मे पसीना बहाने वाले मनरेगा मजदूरो के साथ अन्याय और लाभकारी , विकासशील योजनाओ मे भ्रष्टाचार पनप रहा है,
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