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सांकेतिक आंदोलन के बाद 9 दिसम्बर से 2 घंटे कार्यबहिष्कार पर जाएंगे फार्मेसिस्ट

लखनऊ, प्रदेश भर के सभी सी एम ओ कार्यालयों पर4 दिसम्बर को धरना, प्रदर्शन और माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन के साथ ही प्रदेश के फार्मेसिस्टों ने 5 से 8 दिसम्बर तक काला फीता बांधकर आंदोलन किया लेकिन शासन के अधिकारियों की कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नही आई ऐसा लगता है कि शासन खुद ही आंदोलन को गंभीर बनाना चाहता है, इसलिए पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार कल से प्रदेश के सभी  मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सालयों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, पुलिस, पी ए सी चिकित्सालयों में प्रातः 2 घंटे कार्यबहिष्कार होगा लेकिन जनहित में आकस्मिक सेवाएं/ पोस्टमार्टम / मेडिकोलीगल आदि बाधित नहीं होगा । उक्त की जानकारी आज एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सुनील यादव ने दी । उन्होंने कहा कि संघ की मांगे जनहित में है परंतु शासन जनचिकित्सा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गंभीर प्रतीत नही हो रहा मानक के अनुसार पदों की संख्या कम है जिससे सेवाएं प्रभावित होती हैं ।प्रदेश में जनसंख्या के अनुपात में मानक के अनुसार 2160 के स्थान पर 853 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7200 पी एच सी की जगह  3621 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  हैं, जिला महिला चिकित्सालयों को परिवर्तित कर मेडिकल कॉलेज बनाते समय चिकित्सालयों का मानक समाप्त हो जा रहा है जिससे पदों में कमी हो जा रही है  चिकित्सालयों में भीड़ बढ़ती जा रही है, मानव संसाधन कम हो रहे हैं ।प्रांतीय अध्यक्ष संदीप बडोला, महामंत्री उमेश मिश्रा ने बताया कि 4 दिसम्बर को सभी 75 जनपदों में जनपद शाखाओ द्वारा आंदोलन की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से भेजकर 20 सूत्रीय मांगों को पूरा करने का अनुरोध किया था, जिसके बाद 45 से लगातार 8 तक काला फीता बांधकर कार्य किया लेकिन शासन

के कानों पर जूं तक नही रेंगी।
श्री सुनील यादव ने कहा कि ज्यादातर माँगो के प्रस्ताव शासन में हैं, पदनाम परिवर्तित कर फार्मेसी अधिकारी किये जाने की मांग पर प्रदेश के सैकड़ो माननीय मंत्री, विधायक, सांसद आदि ने संस्तुति पत्र भेजा है , प्रिस्क्रिप्शन का अधिकार के संबंध में भी शासन में पत्रावली संचालित है, इसके साथ ही उच्च पदों के सृजन पर शासन स्तर पर सहमति बन चुकी है, लेकिन शासन का ढीला रवैया और संवादहीनता के कारण फार्मेसिस्टों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है। 
संघ ने कहा कि 2 घंटे के  कार्य बहिष्कार के बाद भी कार्यवाही नही हुई तो अनिश्चितकालीन हड़ताल होगी । 
 

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