भगवतीगंज नगर श्री राम लीला मे राम-भरत मिलाप व सूर्पनखा संवाद का मंचन का किया गया, - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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भगवतीगंज नगर श्री राम लीला मे राम-भरत मिलाप व सूर्पनखा संवाद का मंचन का किया गया,

बलरामपुर भगवतीगंज नगर मे 78 वां वार्षिकोत्सव का श्री श्री 108 श्री राम लीला संकीर्तन समिति द्वारा श्री राम-भरत मिलाप का मंचन किया गया लीला के क्रम में भगवान श्रीराम निषादराज का आतिथ्य ग्रहण करने के बाद आगे बढ़ते हैं अगले दृश्य में गंगा का किनारा होता है,केवट का परिवार प्रसन्नता से नृत्य कर रहा होता है भगवान श्रीराम इस बीच माता सीता व लक्ष्मण के साथ प्रवेश करते हैं केवट से कहते हैं नाव ले आओ बार-बार कहने पर भी जब केवट नाव पर चढ़ाने को तैयार नहीं होता तो श्रीराम कारण पूछते हैं केवट कहता है पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं.मैंने सुना है आपके चरण रज में वो जादू है कि पत्थर में भी जान डाल देती है राम कहते हैं हे केवट जिस प्रकार तुम्हारा संशय दूर हो वही करो फिर केवट द्वारा भगवान श्रीराम के पांव पखारने के दृश्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया अगले दृश्य में अयोध्या का माहौल भगवान श्रीराम के विरह में शोकाकुल है इस बीच महाराज दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं अगले दृश्य में भरत और शत्रुहन का अयोध्या में प्रवेश होता है भरत जब भैया राम व लक्ष्मण के माता सहित वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाते हैं तो वह दुखी हो जाते हैं गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि गुरुवर मुझे राज्य नहीं चाहिए मेरा कल्याण तो भैया राम की चाकरी में है भरत-शत्रुहन भगवान श्रीराम को मनाने के लिए निकलते हैं अगले दृश्य में चित्रकूट का दर्शन होता है यहां राम,माता सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं एक भील आता है और भरत जी के सेना के साथ आने की जानकारी देता है लक्ष्मण को संशय होता है,राम उन्हें समझाते हैं इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं राम को वापस लाने वन की ओर चल पड़ते हैं चलते चलते जब भरत राम जी के पास आते हैं तो आते ही राम के पैरों में लेट जाते हैं वे माता के कृत्य की क्षमा मांगते हुए श्री राम से वापस अयोध्या चलने का निवेदन करते हैं राम पिता के वचन को पूरा करने पर अडि़ग रहते हैं,राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं भरत सहित माताएं,गुरुदेव सभी भगवान राम को मनाने की कोशिश करते हैं अंत में भगवान राम गुरुदेव से उपाय पूछते हैं वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरत लाल राज करेंगे भरतजी श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं इस बीच पार्श्व में शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी,रामभक्त ले चला रहे राम की निशानी.गीत बजता है सभी भावविभोर हो जाते हैं जिसके इसके बाद सूर्पनखा का मंचन होता है पंचवटी में सूर्पनखा घूमते हुए पहुंचती है वह राम-लक्ष्मण के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखती है लेकिन श्री राम उसके छल-कपट को पहचान कर अनुज लक्ष्मण के पास भेज देते हैं लक्ष्मण के विवाह से इंकार करने पर वह क्रोधित होकर अपने असली राक्षसी रूप में प्रकट हो जाती है श्री राम का संकेत पाते ही लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं,जिसके बाद वह रोते बिखलाते हुए खर दूशासन के पास जाती है,जिसके बाद वह दोनों राम-लक्ष्मण से युद्ध करने आते हैं,लेकिन मारे जाते हैं इस मंचन के बाद से ही राम व रावण युद्ध की नींव रखी गई जिसमें रामलीला कमेटी के लोगों ने भाजपा के राज्य मंत्री पलटू राम,व एसएससी ग्रुप के चेयरमैन धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू को रामलीला के मंच पर बुलाकर अंग  वस्त्र व भगवान राम जी का स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किए जिसमें रामलीला कमेटी के उपाध्यक्ष विजय अग्रवाल महामंत्री सुनील गुप्ता कमलापुरी,मंत्री राजेश कुमार केसरवानी राजकुमार अग्रवाल,सहमंत्री राकेश चंद्र केसरवानी दुलीचंद गोयल,रवीन्द्र गुप्ता कमलापुरी युवा समाज सेवी बलरामपुर,पवन कुमार शर्मा,सुभाष अग्रवाल ओम प्रकाश गुप्ता,महेश कुमार अग्रवाल,नरेंद्र कुमार शर्मा,राधेश्याम गुप्ता कमलापुरी,शरद गुप्ता कमलापुरी सुशील अग्रवाल,सुशील गुप्ता,भानु साहू अशोक कुमार गुप्ता,महेश गुप्ता लकी,नमन शर्मा बालाजी गुप्ता अंकित शर्मा,संतोष पाठक,विकास मोदनवाल टोनी पाठक शैलेंद्र शर्मा बबलू,राजू मोदनवाल,जवाहर लाल,सतीश कुमार जयसवाल प्रमोद गुप्ता,बृजेश कुमार,दुर्गाशंकर,माधवराम गुप्ता,राजेश कुमार विश्वकर्मा,रोहन गुप्ता निक्कू,रजत गुप्ता उमेश अग्रवाल व रामलीला कमेटी के आदि लोग सैकड़ों की संख्या में भीड़ रही




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