दहेज हत्यारोपी पति, जेठ, व सास को आजीवन कारावास और 630000/- रुपए अर्थ दंड से जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मी कांत शुक्ला ने दंडित - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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दहेज हत्यारोपी पति, जेठ, व सास को आजीवन कारावास और 630000/- रुपए अर्थ दंड से जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मी कांत शुक्ला ने दंडित

 


दहेज हत्यारोपी पति, जेठ, व सास को आजीवन कारावास और 630000/- रुपए अर्थ दंड से जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मी कांत शुक्ला ने दंडित किए। ₹500000 मृतका के पुत्री के नाम राष्ट्रीय कृत बैंक में जमा करने का आदेश दिए। अर्थदंड न अदा करने पर 2 वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतने की सजा सुनाए।

   जिला शासकीय अधिवक्ता विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि नौरंगिया निवासी हरीश चंद्र चौधरी ने थाना महुली में प्रार्थना पत्र दिए कि उनकी लड़की निशा का विवाह महुली थाना अंतर्गत हरपुर निवासी प्रमोद चौधरी के साथ 26 मई 2013 को हुआ था। शादी के बाद निशा के पति, सास, ससुर,जेठानी दहेज के लिए प्रताड़ित करने लगे और लगातार दहेज के नाम पर ₹100000 और मोटरसाइकिल और आभूषण की मांग करने लगे और कहते थे कि यह सब तुम्हारे बाप ने नहीं दिया तो तुम्हें मार डालेंगे। हरीश चंद चौधरी बीच बचाव में अपनी लड़की के वहां जाते थे तो उनकी लड़की अपनी आपबीती अपने पिता से बताती थी तो अपनी लड़की को समझाते थे कि उसके ससुराल वालों को समझा दिया जाएगा लेकिन समझाने के बाद भी निशा के ससुराल वाले नहीं माने। दिनांक 11.4.17 को शाम 6:00 बजे निशा ने हरिश्चंद्र को फोन किया और अपनी मां से बात कर अपने ऊपर प्रताड़ना की बात कही तथा दिनांक 14.04. 17 को सुबह 6:00 बजे रिश्तेदार से सूचना मिली कि उनकी लड़की निशा का देहांत हो गया। हरिश्चंद्र के प्रार्थना पत्र पर थाना महुली में दहेज हत्या का मुकदमा पंजीकृत हुआ तथा विवेचक द्वारा विवेचना उपरांत आरोप पत्र निशा के पति प्रमोद चौधरी, जेठ विनोद चौधरी और सास सोहरता देवी के विरुद्ध प्रेषित किया गया।

जिला शासकीय अधिवक्ता विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि मृतका का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने अपने बयान में ट्रेकियल रिंग फ्रैक्चर व हाइड बोन फ्रैक्चर का कथन किए तथा माननीय न्यायालय में बयान दिए की मृतका के गले पर जो अब्रेजन आया है वह हाथ से दबाने पर नहीं बल्कि कपड़े और रस्सी से आया है तथा स्ट्रेगुलेशन मार्क भी गले पर आया है ।अभियोजन साक्षियों ने घटना को समर्थित किए ।बचाव पक्ष द्वारा अपने आप को निर्दोष साबित किए जाने का कथन किया गया तथा बचाव पक्ष से एक साक्षी का साक्ष्य कराया गया। मामले में अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष को सुनने के बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश लक्ष्मीकांत शुक्ल ने  पति ,सास और जेठ को दंडित किए।

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