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बिना अभिलेखों के हुआ सोशल ऑडिट,भौतिक सत्यापन को लगा विराम


 संत कबीर नगर  जनपद में पारदर्शिता सहभागिता एवं जवाबदेही की बेहतर नीति के तहत जीरो टॉलरेंस की पृष्ठभूमि रखने वाली बहुउद्देशीय सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) जिम्मेदारों को सूल की तरह चुभ रही है। जनपद के तीन ब्लाक "बेलहर कला, खलीलाबाद, पौली" विकासखंड में हुए सोशल ऑडिट बैठकों में जमकर शिथिलता बरती गई है। सोशल ऑडिट टीम द्वारा बिना अभिलेखों के दो वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 का सोशल ऑडिट किया गया। विकासखंड खलीलाबाद के ग्राम पंचायत उपरौध में ग्राम प्रधान के चहेतों के बीच बैठक को संपन्न करते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 के 3641 मानव दिवस में दस लाख का काम बताया गया एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 के 6982 मानव दिवस में 17 लाख रुपए का काम होना बताया गया। जिसमें 28 काम में तीन काम इंटरलॉकिंग का, दो खड़ंजे का काम होना बताया गया है। बाकी कामों का कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं पाया गया है। वही चंद्र प्रकाश के खेत से रामसूरत के खेत तक का सत्यापन कार्य नहीं हो पाया है। मानव दिवसों को हजारों की संख्या में दिखाया तो जाता है लेकिन उसकी नियमावली के तहत होने वाले साइड फोटोग्राफी का कोई प्रमाण मिलता ही नहीं है ।इसी क्रम में ग्राम पंचायत तरैनी में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 9 काम होना पाया गया है । वित्तीय वर्ष 2021-22 में 32 काम का होना पाया गया है। जबकि यहां के किसी भी जॉब कार्ड धारी मनरेगा मजदूरों के जॉब कार्ड का नवीनीकरण आज तक नहीं हुआ है। जिससे कहीं ना कहीं मनरेगा की पारदर्शिता प्रभावित होती नजर आ रही है।

ग्राम प्रधान शिखा यादव की सास कौशल्या पत्नी रामवीर द्वारा बिना काम किए 60 दिनों के मनरेगा मजदूरी का लाभ लिया गया है। जिस के संबंध में सोशल ऑडिट टीम ने कहां की यह कार्य नियम विरुद्ध पाया जा रहा है रिकवरी होना जरूरी है। इसी क्रम में आदित्य पुत्र राम भवन का डबल जॉब कार्ड होना पाया गया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि विकास कार्यों में जमकर अनियमितता की गई है। यही नहीं सोशल ऑडिट के निगरानी में नियुक्त किए गए पर्यवेक्षक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी किसी भी सोशल ऑडिट बैठक में निरीक्षण करते हुए नजर नहीं आए। वही सचिवों के नियुक्त अधिकारी जिला विकास अधिकारी द्वारा भी जिम्मेदारी को आईना दिखाया गया जिस के क्रम में टीए एवं सचिव तो सोशल ऑडिट बैठक से दूरी बना रहे तथा ग्राम प्रधान सोशल ऑडिट बैठक के आरंभ होने से पहले ही ग्राम पंचायत से फरार दिखाई देते रहे, खत्म हो गई बाद में विकासखंड मुख्यालय पर आकर प्रधानों द्वारा सोशल ऑडिट टीम के साथ संधि करते हुए मामला रफा-दफा कर लेते हैं इस तरह से खत्म हो जाती है सोशल आडिट 

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