नसबन्‍दी के बाद नहीं आती है कोई कमजोरी, नहीं होता प्रतिकूल प्रभाव - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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नसबन्‍दी के बाद नहीं आती है कोई कमजोरी, नहीं होता प्रतिकूल प्रभाव

 


संतकबीरनगर पौली ब्‍लॉक के दुलहापार गांव की निवासी 28 साल की ज्‍योति ने गत 18 जुलाई को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र (सीएचसी) हैसर पर अपनी नसबन्‍दी कराई थी। नसबन्‍दी के 10 दिन बीतने के बाद वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ हैं। उन्‍हें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है और वह घर का सारा काम कर रही हैं। अब वह मानती हैं कि नसबन्‍दी होने के बाद महिलाओं की कार्यक्षमता घट जाती है और शारीरिक कमजोरी का शिकार हो जाती हैं यह बात सही नहीं है।  

ज्‍योति बताती हैं कि उनके पति मजदूरी करते हैं, उनके पांच बच्‍चे हैं। गांव की आशा कार्यकर्ता सरिता उनसे मिलती थीं तो हमेशा परिवार नियोजन की बात करती थीं। ज्योति ने बताया, ‘‘आशा कहती थीं कि मैं ऑपरेशन करवा लूं। मुझे आपरेशन नाम सुनकर ही डर लगता था। उन्‍होने मुझे खाने के लिए गर्भनिरोधक गोली भी दी ताकि अब अनचाहा बच्‍चा न पैदा हो सके। उन्‍होने मुझे इस बात का विश्‍वास दिलाया कि ऑपरेशन के बाद कोई शारीरिक कमजोरी नहीं होगी, न ही कोई नुकसान होगा। इसके बाद वह मुझे एम्‍बुलेंस से सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हैसर बाजार ले गयीं।’’ वह बताती हैं कि सीएचसी वहां पर डाक्‍टर ने मात्र 10 मिनट में ही नसबन्‍दी कर दी। नसबन्‍दी के आधे घण्‍टे बाद ही वह घर चली आईं। ऑपरेशन का घाव पूरी तरह से ठीक हो गया है। वह वर्तमान में पहले की ही तरह काम कर रही हैं हूं। उनके साथ ही गांव की अंजली और शान्ति की भी नसबन्‍दी हुई थी। उनको गांव की दूसरी आशा कार्यकर्ता अमलावती लेकर गयी थीं। वह दोनों भी बिल्‍कुल ठीक हैं और उन्हें भी कोई परेशानी नहीं हुई। आशा कार्यकर्ता सरिता देवी ने बताया कि उन्‍होने ज्‍योति को परिवार नियोजन के विभिन्‍न पहलुओं के बारे में जानकारी दी। बाद में उनके पति राजेन्‍द्र को भी इन बातों की जानकारी दी। दोनों की सहमति के बाद ज्‍योति की नसबन्‍दी कराई गयी। वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ है। हम उसकी निरन्‍तर जानकारी लेते रहते हैं।


 


ज्योति का मानना है कि उन्हें दो बच्चों पर ही परिवार नियोजन अपनाना चाहिए था। जो गलती उन्होंने की है वह दूसरों को नहीं करनी चाहिए । छोटा परिवार सुखी परिवार होता है । ज्यादा बच्चों को परवरिश कठिन होती है । आशा कार्यकर्ता की मदद से परिवार नियोजन के मनपसंद साधनों का चुनाव करना चाहिए।


10 महिलाओं की हुई नसबन्‍दी


गोरखपुर से आई एफआरएचएसआई ( फाउण्‍डेशन आफ रिप्रोडक्टिव हेल्‍थ आफ इण्डिया ) की टीम के नेतृत्‍व में महिला चिकित्‍सक डॉ उमा श्रीवास्‍तव ने 10 महिलाओं की नसबन्‍दी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद और नाथनगर में शुक्रवार को की। संस्‍था की काउंसलर कम स्‍टाफ नर्स अनीता सिंह बताती हैं कि उनकी टीम निरन्‍तर गोरखपुर व बस्‍ती मण्‍डल में नसबन्‍दी के योग्‍य महिलाओं की नसबन्‍दी करती है। टीम सभी सुविधाओं से लैस है और अपनी एम्‍बुलेंस के साथ जाती है । सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खलीलाबाद के अधीक्षक डॉ राधेश्‍याम यादव नसबन्‍दी होने तक मौके पर मौजूद रहे तथा सभी नसबन्‍दी की लाभार्थियों को एम्‍बुलेंस के जरिए उनके घर पहुंचवाया। टीम में प्रोग्राम मैनेजर अमित मिश्रा, नर्स वन्‍दना व कृष्‍णानन्‍द है। सारे जोखिम को ध्‍यान में रखते हुए नसबन्‍दी की जाती है तथा नसबन्‍दी कराने वालों को दवाएं भी दी जाती हैं।


नसबन्‍दी से नहीं आती है किसी प्रकार की कमजोरी


उत्‍तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ परिवार नियोजन कार्यक्रम को सुदृढ़ बना रहे हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ  डॉ मोहन झा बताते हैं कि अप्रैल से लेकर अब तक जिले में 108 महिला व 3 पुरुषों की नसबन्‍दी की गयी है। योग्‍य दंपति को निरन्‍तर परिवार नियोजन के स्‍थायी और अस्‍थायी साधनों के उपयोग की सलाह दी जाती है। नसबन्‍दी कराने से महिला या पुरुष किसी के अन्‍दर न तो किसी प्रकार की कमजोरी आती है और न ही इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव है। सीमित परिवार के फायदों यथा बच्‍चों की बेहतर परवरिश तथा अन्‍य बातें लोगों को समझना चाहिए तथा परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरुक करना चाहिए।

नसबन्‍दी से नहीं है कोई नुकसान – अनीता

एफआरएचएसआई संस्था की परामर्शदाता अनीता सिंह बताती हैं कि महिलायें जब आगे और बच्‍चें नहीं चाहती है तो उनके लिये कारगर और स्‍थाई उपाय है 'महिला नसबन्‍दी'।  किसान जैसे किसी क्‍यारी में और पानी नहीं जाने देने के लिये पानी के धोरे को मिट्टी या डाटा लगाकर बन्‍द कर देता है। उसी तरह डाक्‍टर महिला की दोनों तरफ की अण्‍डा ले जानी वाली डिम्‍बवाहिनी (फेलापियन ट्यूब) नली को थोडा काटकर या छल्‍ला लगा कर डिम्‍ब (स्‍त्री अण्‍डा) का रास्‍ता रोक देते है। जिससे फिर कभी भी गर्भवती नहीं होती है। महिला नसबन्‍दी बिल्‍कुल सुरक्षित है, जिससे महिला में स्‍वस्‍थ्‍य एवं सुरक्षित जीवन जीने की सम्‍भावना कई गुना बढ जाती है और वह स्‍वस्‍थ्‍य जीवन गुजार सकती है।


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