कांग्रेस का बढ़ा जनाधार भी घटता नजर आ रहा है,
कार्यकर्ताओं की उदासीनता की हो रही है शिकार कांग्रेस पार्टी,
सन्त कबीर नगर , किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए कार्यकर्ता ही अपनी मुख्य भूमिका अदा करता है, जिसमें जिला अध्यक्ष से लेकर सेक्टर अध्यक्ष बूथ अध्यक्ष तथा पार्टी गत कार्यकर्ता जो अपने पार्टी को शीर्ष स्थान पर ले जाने के लिए मुख्य भूमिका अदा करती आज कांग्रेश की स्थिति बद से बदतर होती नजर आ रही है क्योंकि इनके पास कमेटियों का गठन बूथ स्तर तक गठन नहीं कर पाए जिस से पार्टी गत मतदाता भी इधर उधर जाने के लिए तैयार हो जाते हैं जिसका कारण है कांग्रेश सत्ता से बाहर हो गयी, जनपद संत कबीर नगर मेंकांग्रेस जिलाध्यक्ष की कुर्सी संभाले भी नही संभल पा रहा है अन्य पार्टियो के वोट बैक मे जहां बढ़ोत्तरी आंकी जा रही है वही कांग्रेस का बढ़ा जनाधार घटते जा रहा है । युवा जिलाध्यक्ष प्रवीण चन्द पाण्डेय के साथ बड़े बुजुर्ग की क्या कहे युवा मतदाता भी कन्नी काट रहे है । जिससे कही न कही ये लगता है कि युवा जिलाध्यक्ष की कुर्सी संभाले भी नही संभल रहा है ।
बता दे कि पूर्वाचल के दिवंगत नेता शेरे पूर्वाचल भालचंद्र यादव द्वारा लड़े गये लोकसभा चुनाव मे अनुमान से कही अधिक मतदाताओ का रुझान बढ़ा था बीस हजार से ऊपर उठते हुए एक लाख अट्टाइस हजार के आस - पास मतदाता कांग्रेस के साथ हुए थे । लेकिन जबसे जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर कांग्रेस के दो बार रह चुके सांसद के सी पाण्डेय के पुत्र तथा प्रखर ओजस्वी विधायक धनुषधारी पांडे जी के प्रवीण चन्द पाण्डेय जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे है लेकिन अपनी पैतृक विरासत को बचाने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि अपने लोगों को सहेजने में नहीं छूट पा रहे हैं यही कारण है कांग्रेस के परंपरा गतमतदाता बिखर गए श्री पाण्डेय युवा जिलाध्यक्ष होकर भी मतदाताओ को जोड़ने मे नाकाम साबित हो रहे है बड़े बुजुर्ग की क्या कहे नौजवान मतदाता भी साथ नही हो पा रहे है जबकि अन्य पार्टियो का घटा जनाधार बढ़त की ओर है । जिलाध्यक्ष को विरासत मे मिला राजनीतिक गुण तनिक भी काम नही आ रहा है । जबकि देखा जाय तो विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस की नीतियां सबसे बेहतर है समाज के अंतिम व्यक्ति को जोड़ने मे कामयाब हो पाएंगे या नहीं यह आने वाला समय ही गवाह होगा,
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