इस्लामी शरीअत ने अख़लाक़ को बेहतर बनाने की तालीम दी - उलमा-ए-किराम - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

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इस्लामी शरीअत ने अख़लाक़ को बेहतर बनाने की तालीम दी - उलमा-ए-किराम

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश नौज़वान कमेटी की ओर से छोटे काजीपुर में ग़ौसुल आज़म कांफ्रेंस हुई। आगाज़ क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुआ। नात व मनकबत पेश की गई।
मुख्य वक्ता मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि इस्लामी शरीअत ने अख़लाक़ को बेहतर से बेहतर बनाने की ख़ुसूसी तालीमात दी है। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि मुझे बेहतरीन अख़लाक़ की तकमील के लिए भेजा गया है। दीन-ए-इस्लाम ने औरतों को जो मक़ाम अता फ़रमाया है वह एक इम्तियाज़ी हैसियत रखता है। पैग़ंबर-ए-आज़म ने बार-बार सहाबा को तलक़ीन फ़रमाई कि वह औरतों के साथ नर्मी का मामला करें, उनकी दिलजोई करें, उनकी तरफ़ से पेश आने वाली नागवार बातों पर सब्र का मुज़ाहिरा करें। लड़कियों की तालीम व तरबियत के बारे में पैग़ंबर-ए-आज़म ने इरशाद फ़रमाया कि जिस शख़्स ने किसी लड़की की सही सरपरस्ती की और उसकी अच्छी तरबियत की तो यह लड़की क़यामत के दिन उसके लिये दोज़ख़ की आग से रुकावट बन जाएगी। पैग़ंबर-ए-आज़म ने ख़ुद अपने अमल से सहाबा के सामने औरतों के साथ अच्छे बर्ताव की आला मिसालें क़ायम कीं। पैग़ंबर-ए-आज़म ने बेवाओं से निकाह करके दुनिया को यह पैग़ाम दिया कि बेवाओं को तन्हा न छोड़ो बल्कि उन्हें भी अपने समाज में इज़्ज़त बख़्शो। औरत की इज़्ज़त व नामूस इसी में है कि वह अपनी सरगर्मियों का मेहवर अपने घर को बनाकर अपने घर को संवारें और बच्चों की बेहतरीन तरबियत करें।
विशिष्ट वक्ता मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा रज़वी ने कहा कि अल्लाह ने इल्म की ख़ास अहमियत क़ुरआन-ए-पाक में कई बार ज़िक्र की है। पहली वही की इब्तेदा ‘इक़रा’ के लफ़्ज़ से फ़रमाकर क़यामत तक आने वाले इंसानों को इल्म के ज़ेवर से आरास्ता होने का पैग़ाम दिया। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी इल्म की ख़ास अहमियत व फ़ज़ीलत को बार-बार ज़िक्र फ़रमाया, लेकिन ये बात याद रहे कि क़ुरआन व हदीस में जहां इल्म की अहमियत पर तवज्जोह दी गयी है वहाँ यह भी ज़िक्र किया गया है कि इल्म उस वक़्त ही क़ाबिले क़द्र और रहमत का बाइस होगा जब उसके ज़रिए अल्लाह का ख़ौफ़ और अल्लाह की पहचान हासिल हो और ज़ाहिर

है कि यह हालत क़ुरआन व हदीस से हासिल शुदा इल्म से ही पैदा होती है लिहाज़ा हमें दुनियावी उलूम से ज़रूर आरास्ता होना चाहिए और साइंस और नई टेक्नालाजी के मैदान में भी आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन बुनियादी तौर पर क़ुरआन व हदीस के इल्म से ज़रूर रूशनास होना चाहिए। 
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन शांति व भाईचारे की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। कांफ्रेंस में कारी शमसुद्दीन, हसन रज़ा, कारी अंसारुल हक़, कारी मोहम्मद अयूब, मौलाना हिदायतुल्लाह, मौलाना गुलाम दस्तगीर आदि ने शिरकत की।

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