डीबीटी की मीटिंग की जाँच में आया चौकाने वाला राज , सैकड़ो विद्यालय पर बच्चो का फर्जी है नामांकन - ADAP News - अपना देश, अपना प्रदेश!

Header Ads

डीबीटी की मीटिंग की जाँच में आया चौकाने वाला राज , सैकड़ो विद्यालय पर बच्चो का फर्जी है नामांकन

बेसिक शिक्षा विभाग ने जाँच तो शिक्षकों द्वारा शुरू हुआ अनशन प्रदर्शन


बलिया, उत्तर प्रदेश योगी सरकार के द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में डायरेक्ट बेनिफिशियल ट्रांसफर के तहत स्कूल में पढ़ रहे बच्चों या उनके अभिभावकों के खाते में पैसा भेजवाने का आदेश जारी हुवा था । जिसको देखते हुवे बलिया जिले के बेशिक शिक्षा अधिकारी शिव नारायण सिंह ने जल्द से जल्द हर स्कूल कितने बच्चे है उनके खाते में पैसा भेजने का आदेश उस स्कूल के प्रिंसिपल को आदेश जारी किया था जिससे हर बच्चे के खाते में पैसा जा सके ।लेकिन जिले में कुछ ऐसे स्कूलों के प्रिंसिपल भी है जिसको सरकार का आदेश राश नही आ रहा है ।आये भी कैसे क्योकि इसके पहले उनको हज़ारों से लेकर लाखो का फायदा हो रहा था । लेकिन सरकार के आदेश से उनकी हवाइयां उड़ रही है । 


सूत्र बताते हैं कि अगर सही से जाँच करा दी जाए तो बलिया में 70% ही नामंकन सही है बाकी स्कूलों में फर्जी नामाकंन के आधार पर लाखों का वारा न्यारा किया जाता रहा है ।


आपको बताते चले बेशिक अधिकारी शिव नारायण सिंह ने जब इसकी मीटिंग ली जल्द से जल्द सरकार के आदेश के तहत डायरेक्ट बेंफिसियल ट्रान्सफर के तहत बच्चो के अभिभावकों के खाते में पैसे ट्रान्सफर की प्रगति रिपोर्ट की जानकारी माँगी तो दर्जनों लोगों के पास तो कुछ कहने को नही था । समीक्षा में यह बात भी सामने आई कि रसड़ा ब्लॉक के 78 विद्यालयों द्वारा डीबीटी का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया था । बेशिक अधिकारी द्वारा  समीक्षा करते हुए एक प्रधानाध्यापक से पूछताछ के दौरान अभद्रता की गई। जिस के क्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा तत्काल प्रभाव से उसको निलंबित कर दिया गया।इ


ससे आक्रोशित जनपद के प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों द्वारा इस कार्य में बाधा डालने हेतु धरना किया जाने लगा । आपको बताते चले कि यह सरकार की ऐसी योजना है जिससे छात्र छात्राओं के अभिभावकों को डायरेक्ट लाभ मिलना है। इसमें प्रधानाध्यापको द्वारा विरोध उत्पन्न किया जाना यह दर्शाता है कि यह सिर्फ अपने हित के लिए कार्य कर रहे हैं छात्रों एवं अभिभावकों से इनका कोई लेना-देना नहीं । सरकार द्वारा इनको मोटी तनख्वाह दी जा रही है , इसके बाद भी सरकारी कार्य में जनहित से संबंधित कार्य में बाधा डालना कितना उचित है इसका निर्णय तो अध्यापकों द्वारा ही लिया जाना है। जब इस पूरे मामले में बेशिक अधिकारी द्वारा सख्ती दिखाई गयी तो शुरू हुआ अनशन प्रदर्शन का खेल।


No comments